Aravalli Controversy: अरावली विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे, अब इस दिन होगी अगली सुनवाई

अरावली पर्वतमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। इससे नई परिभाषा और खनन संबंधी कार्रवाई फिलहाल रुकेगी। अदालत की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी। केंद्र और राज्य सरकारों को नई नीतियों, संरक्षण उपायों और खनन नियमों पर रिपोर्ट पेश करनी होगी।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 29 December 2025, 12:58 PM IST

New Delhi: अरावली पर्वतमाला को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फिलहाल स्टे (रोक) लगा दिया हैइससे अरावली की नई परिभाषा और खनन संबंधी नीतियों पर कोई तत्काल कार्रवाई नहीं हो सकेगी

अरावली पर्वत श्रृंखला के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर के अपने फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। पहले के आदेश में अरावली की परिभाषा केवल उन पहाड़ियों तक सीमित की गई थी जो आसपास की जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची हों। अब कोर्ट ने इस फैसले को स्थगित करते हुए कहा कि अरावली की वास्तविक परिभाषा और संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर दोबारा विचार किया जाएगा। अगली सुनवाई में केंद्र और राज्य सरकारों को नए पर्यावरण और खनन नीतियों के साथ कोर्ट के सामने प्रस्तुत होना होगा।

अदालत ने अगले निर्देशों और सुनवाई की तारीख 21 जनवरी 2026 तय की हैचीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं

क्या है पूरा अरावली मामला?

केंद्र सरकार ने 20 नवंबर 2025 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर नई परिभाषा तय की थीइस परिभाषा के अनुसार केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियां ही अरावली श्रेणी में शामिल होंगीइस कदम का उद्देश्य खनन और भूमि विकास को नियंत्रित करना थाहालांकि, इस निर्णय के विरोध में पर्यावरणविद और विपक्षी दल सामने आएउनका कहना है कि छोटी पहाड़ियों को अरावली श्रेणी से बाहर करने से पारिस्थितिकी और जल संरक्षण पर गंभीर असर पड़ेगा

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विरोध और राजनीतिक हलचल

राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में नए आदेश के बाद विरोध तेज हो गयालोग और संगठन "अरावली बचाओ" अभियान चला रहे हैं और राज्य सरकारों से अपील कर रहे हैं कि वे अरावली की रक्षा करेंपर्यावरण कार्यकर्ता मानते हैं कि अगर छोटी पहाड़ियों को अरावली से बाहर किया गया, तो खनन माफिया और अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगावहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि नई परिभाषा अरावली संरक्षण को कमजोर नहीं करती और पर्यावरण की सुरक्षा जारी रहेगी

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई तय की थीअदालत पहले भी अरावली संरक्षण के मामलों में सख्त रही हैगोदावर्मन और एम.सी. मेहता मामलों में कोर्ट ने अरावली की व्यापक सुरक्षा सुनिश्चित की थीविशेषज्ञों का मानना है कि स्टे लगाने का मतलब यह है कि अदालत केंद्र और राज्य सरकारों को पूरी तरह निर्देश जारी करने से पहले स्थिति का पुनः मूल्यांकन करेगी

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खनन पर रोक और संरक्षण

केंद्र सरकार ने 24 दिसंबर 2025 को अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर रोक लगाने के आदेश जारी किएपर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा कि किसी भी नई खनन लीज को मंजूरी नहीं दी जाएगीइसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैली सतत पर्वत श्रृंखला की रक्षा करना और अनियमित खनन को रोकना हैअब स्टे के बाद अदालत की अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि अरावली पर नए खनन और विकास संबंधी निर्देश कब तक लागू होंगे

पर्यावरण और नीति पर असर

अरावली पर्वतमालाकेवल दिल्ली-एनसीआर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि राजस्थान और हरियाणा की पारिस्थितिकी के लिए भी अहम हैविशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट के स्टे आदेश ने अस्थायी राहत दी है, लेकिन लंबे समय में नीति और संरक्षण के लिए गंभीर दिशा-निर्देश की आवश्यकता हैपर्यावरणविद और स्थानीय संगठन अगली सुनवाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं

अदालत की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगीइस दौरान केंद्र और राज्य सरकारों को नई नीतियों, संरक्षण उपायों और खनन नियमों पर स्पष्ट रिपोर्ट पेश करनी होगीयह सुनवाई पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसके निर्णय सेकेवल अरावली की सुरक्षा तय होगी, बल्कि देश में पर्यावरण नीति और खनन नियंत्रण के मानक भी स्पष्ट होंगे

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 29 December 2025, 12:58 PM IST