Pune: देश में बढ़ते साइबर अपराधों के बीच अब धोखेबाजों ने ठगी का ऐसा नया तरीका अपनाया है जिसने पुलिस तक को चौंका दिया है। पुणे में रहने वाली 62 वर्षीय रिटायर्ड महिला एलआईसी अफसर को साइबर अपराधियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम पर डराकर करीब ₹99 लाख रुपये की ठगी कर ली। इस पूरी साजिश में जाली सरकारी मुहर, फर्जी गिरफ्तारी वारंट और वित्त मंत्री के नकली हस्ताक्षर तक का इस्तेमाल किया गया।
कैसे बुना गया धोखाधड़ी का जाल
मामला महाराष्ट्र के पुणे शहर के कोथरुड इलाके का है। पीड़िता से पहली बार अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में एक अज्ञात कॉलर ने संपर्क किया। उसने खुद को ‘डेटा प्रोटेक्शन एजेंसी’ का अधिकारी बताया और कहा कि उनके आधार नंबर से जुड़ा मोबाइल नंबर एक धोखाधड़ी के केस में इस्तेमाल हुआ है। इस बहाने उसने महिला से निजी जानकारी हासिल की और फिर कॉल एक अन्य व्यक्ति ‘जॉर्ज मैथ्यू’ के पास ट्रांसफर कर दी- जो खुद को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी बता रहा था।
वीडियो कॉल पर मिली गिरफ्तारी की धमकी
कुछ देर बाद महिला को एक वीडियो कॉल आया। वीडियो पर अपराधियों ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) और RBI से जुड़ा अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है। आरोपियों ने दावा किया कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया, तो उनका बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिया जाएगा और उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ किया जाएगा।
यहीं से शुरू हुई एक डरावनी साजिश। अपराधियों ने महिला को निर्मला सीतारमण के नाम और जाली हस्ताक्षर वाला एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट ईमेल और व्हाट्सएप पर भेज दिया। इस वारंट पर वित्त मंत्रालय की मुहर और सरकारी सील तक लगी हुई थी, जिससे यह असली लग रहा था।
‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर ठगी
आरोपियों ने कहा कि महिला की उम्र अधिक होने के कारण उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ के तहत रखा जाएगा, जिसमें पुलिस उन्हें घर से बाहर नहीं निकालेगी, लेकिन उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखी जाएगी। इसी दौरान उन्हें अपने बैंक खातों में मौजूद सारी रकम वेरिफिकेशन के लिए RBI के अकाउंट्स में ट्रांसफर करने के लिए कहा गया।
डरी-सहमी महिला ने बिना किसी को बताए कई ट्रांजैक्शन में करीब ₹99 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए। अपराधियों ने भरोसा बनाए रखने के लिए ED की नकली रसीदें और डॉक्यूमेंट्स भी भेजे, ताकि महिला को लगे कि सब कुछ सरकारी प्रक्रिया के तहत हो रहा है।
सारे अकाउंट निकले फर्जी
कुछ दिनों बाद जब महिला ने संदिग्ध नंबर पर दोबारा कॉल करने की कोशिश की, तो नंबर स्विच्ड ऑफ मिला। इसके बाद उन्हें शक हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुकी हैं। उन्होंने तुरंत पुणे सिटी साइबर पुलिस से संपर्क किया और मामला दर्ज कराया।
जांच में पता चला कि जिन बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया था, वे म्यूल अकाउंट्स (फर्जी या किराए पर लिए गए बैंक अकाउंट्स) थे, जिन्हें ठाणे और मुंबई से ऑपरेट किया जा रहा था। पुलिस ने अब उन खातों और उनसे जुड़े मोबाइल नंबरों की डिटेल ट्रेस करना शुरू कर दिया है।
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पुलिस जांच में बड़ा खुलासा
पुणे साइबर सेल के अधिकारियों के मुताबिक, यह गिरोह ठाणे से संचालित हो रहा था और इसके तार देश के बाहर तक जुड़े हो सकते हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि अपराधियों ने महिला के डर का फायदा उठाकर उन्हें मानसिक रूप से दबाव में लाकर पैसे ट्रांसफर करवाए। पुलिस अब ट्रांजैक्शन ट्रेल, IP एड्रेस और कॉल रिकॉर्ड्स की जांच कर रही है। कुछ अकाउंट्स से जुड़े KYC डिटेल्स भी ट्रेस किए जा चुके हैं।
एक अधिकारी ने बताया, ‘यह नया ट्रेंड बेहद खतरनाक है। अपराधी अब सरकारी एजेंसियों और मंत्रियों के नाम का दुरुपयोग कर भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं।’
निर्मला सीतारमण के नाम का दुरुपयोग
यह घटना इसलिए और गंभीर मानी जा रही है क्योंकि ठगों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया। इससे न सिर्फ सरकारी विश्वसनीयता को ठेस पहुंची, बल्कि यह भी दिखा कि अपराधी कितनी गहराई से सिस्टम की नकल कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और फर्जी दस्तावेज बनाने वाले नेटवर्क की जांच के लिए केंद्र को रिपोर्ट भेजी जा रही है।

