Sawan 2025: शिवलिंग पूजन में महिलाएं बरतें ये जरूरी सावधानियां, जानिए क्या है पूजा का सही नियम?

सावन में भगवान शिव की आराधना से जुड़ी पूजा विधियों में महिलाओं के लिए विशेष नियम बताए गए हैं। जानें पूजा के दौरान किन बातों का रखना है ध्यान।

Updated : 15 July 2025, 3:18 PM IST
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New Delhi: सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इस पूरे महीने शिवभक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष पूजन के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। वहीं, महिलाएं भी शिवभक्ति में पीछे नहीं रहतीं, लेकिन शास्त्रों में महिलाओं के लिए शिवलिंग पूजन को लेकर कुछ विशेष नियम और अनुशासन बताए गए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है।

शिवलिंग पूजन का आध्यात्मिक महत्व

शिव ही ऐसे देवता हैं जिन्हें लिंग रूप में पूजा जाता है। 'शिव' का अर्थ होता है 'परम कल्याणकारी' और "लिंग" का अर्थ है 'सृजन' का प्रतीक। वेदों और पुराणों के अनुसार, लिंग सूक्ष्म शरीर का प्रतीक है, जो 17 तत्वों से मिलकर बना होता है- इनमें मन, बुद्धि, ज्ञानेन्द्रियां, कर्मेन्द्रियां और वायु शामिल हैं। वायु पुराण में कहा गया है कि प्रलय के समय समस्त सृष्टि जिसमें लीन होती है और जिससे पुनः सृष्टि उत्पन्न होती है, वही लिंग है। यही कारण है कि शिवलिंग को संपूर्ण ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

महिलाओं के लिए क्या है नंदी मुद्रा?

शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए परंपरागत मान्यता है कि महिलाएं शिवलिंग को सीधे स्पर्श नहीं करतीं। हालांकि, श्रद्धा भाव से अगर कोई महिला शिवलिंग को स्पर्श करना चाहती है, तो उसे नंदी मुद्रा में ही ऐसा करना चाहिए।

Sawan 2025

महिलाएं नंदी मुद्रा से करें शिवलिंग स्पर्श

नंदी मुद्रा एक विशेष पूजा मुद्रा है जिसमें नंदी (शिव के वाहन) की तरह बैठा जाता है। इस मुद्रा में पहली और आखिरी ऊंगली को सीधा रखा जाता है, जबकि बीच की दो उंगलियों को अंगूठे से जोड़ दिया जाता है। माना जाता है कि इस मुद्रा में शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

महिलाओं को पूजन के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • शिवलिंग को सीधे हाथ से न छुएं, विशेष रूप से मासिक धर्म के समय।
  • नंदी मुद्रा में ही शिवलिंग को जल या फूल अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर तुलसी या केतकी का फूल अर्पित न करें, यह वर्जित है।
  • सप्ताह के सोमवार को व्रत रखकर शिवलिंग पर जल चढ़ाना विशेष फलदायक माना जाता है।
  • पूजा करते समय शुद्धता और ध्यान की स्थिति बनाए रखें, मानसिक शांति जरूरी है।

क्यों सावन में होती है शिवलिंग पूजन की विशेष महत्ता?

सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। यह समय वर्षा ऋतु का होता है, जब प्रकृति प्रचुर जल प्रदान करती है। इसी जल से शिवलिंग पर जलाभिषेक करना विशेष रूप से पुण्यकारी होता है। कांवड़ यात्रा के दौरान भी लाखों शिवभक्त पवित्र गंगाजल लेकर शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। यह महिना आत्मशुद्धि, तप और भक्ति का प्रतीक है।

महिलाओं के लिए शिवलिंग की पूजा एक आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है, बशर्ते वे शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करें। नंदी मुद्रा अपनाकर और शुद्ध मन से पूजा करने पर भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। सावन का यह पवित्र महीना भगवान शिव की कृपा पाने का उत्तम अवसर है।

Disclaimer: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रीय जानकारियों पर आधारित है। Dynamite News इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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