

सावन का महीना शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है। जानिए कौन से काम सावन में नहीं करने चाहिए ताकि पुण्य फल की प्राप्ति हो सके।
शिव (सोर्स-गूगल)
New Delhi: श्रावण मास या सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक और पवित्र माना जाता है। यह महीना खासकर भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है। 2025 में उत्तर भारत में सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो चुकी है और यह 9 अगस्त तक चलेगा। इस एक महीने में लाखों शिवभक्त व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
लेकिन इस पावन महीने में कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए, वरना पूजा का फल अधूरा रह सकता है या जीवन में बाधाएं आ सकती हैं।
सावन में भूलकर भी न करें ये कार्य
मांस-मदिरा का सेवन न करें: सावन के महीने में मांसाहार और शराब का सेवन पूरी तरह वर्जित माना गया है। यह न केवल आध्यात्मिक रूप से अनुचित है, बल्कि शरीर और मन को भी प्रभावित करता है।
बासी और भारी भोजन से परहेज़ करें: इस महीने में ताज़ा और सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है। बासी, तला-भुना या अधिक मसालेदार भोजन रोगों को जन्म दे सकता है।
पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें: आयुर्वेद के अनुसार सावन में पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, मेथी, सरसों आदि में कीटाणु होने की आशंका रहती है। इसलिए इनसे परहेज करें।
दूध के साथ मांसाहारी या अम्लीय चीजें न लें: भगवान शिव को दूध अर्पण करना शुभ माना जाता है, लेकिन इसी दौरान दूध का अमर्यादित या अनुचित उपयोग दोष दे सकता है।
रात्रि में देर तक जागना और ब्रह्ममुहूर्त में न उठना: सावन का महीना साधना और संयम का है। देर रात तक जागना और सुबह देर से उठना इस माह के प्रभाव को कम कर देता है।
विवाद और कटु वचन न बोलें: इस महीने में क्रोध, झूठ, अपशब्द और किसी से विवाद करने से पुण्य कम होता है और मानसिक अशांति बढ़ती है।
शिवलिंग पर तुलसी पत्र न चढ़ाएं: भगवान शिव को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाया जाता, यह धार्मिक दृष्टिकोण से अशुभ माना गया है।
सावन का महत्व और लाभ
सावन माह में भगवान शिव की पूजा से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। खासकर सावन सोमवार व्रत, रुद्राभिषेक, मंत्र जाप और दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि अर्पित करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। यह महीना आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का अवसर है।