

सावन के महीने में हरे रंग के कपड़े पहनना एक आम परंपरा बन चुकी है, खासकर महिलाओं के बीच। लेकिन क्या ये सिर्फ फैशन है या इसके पीछे कोई गहरी धार्मिक आस्था भी जुड़ी है? जानिए हरे रंग की इस परंपरा की असली वजह।
सावन में हरा रंग (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
New Delhi: भारत में सावन का महीना सिर्फ बारिश, हरियाली और ठंडक लाने वाला समय ही नहीं होता, बल्कि यह समय धार्मिक आस्था, परंपराओं और उत्सवों से भी जुड़ा होता है। खासकर महिलाओं के लिए यह महीना बेहद खास होता है, क्योंकि इस दौरान वे विशेष पूजा, व्रत और श्रृंगार करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि सावन में महिलाएं विशेष रूप से हरे रंग के कपड़े ही क्यों पहनती हैं?
ये केवल एक फैशन स्टेटमेंट नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता जुड़ी हुई है, जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे।
हरा रंग प्रकृति, हरियाली, नई ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है। सावन में जब प्रकृति हरियाली से ढकी होती है, तब हरा रंग पहनना उस प्राकृतिक सुंदरता से जुड़ने का संकेत भी होता है। यह रंग शिव और पार्वती की भक्ति से भी जुड़ा है। कई मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए सावन मास में कठोर तप किया था। इस दौरान उन्होंने भी हरे वस्त्र धारण किए थे।
सावन और हरे रंगों का संबंध (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
हिंदू धर्म में हरा रंग सौभाग्य, समृद्धि और शांत ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि महिलाएं इस महीने में हरी चूड़ियां, हरे कपड़े, बिंदी और श्रृंगार करती हैं। यह श्रृंगार उनके पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
सावन के महीने में मनाई जाने वाली प्रमुख पर्व हरियाली तीज में भी हरे रंग का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं, झूले झूलती हैं और हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं। यह दिन प्रकृति और नारीत्व के मिलन का प्रतीक होता है, जिसमें हरा रंग नई शुरुआत, ताजगी और प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है।
विज्ञान के अनुसार भी हरा रंग आंखों के लिए आरामदायक होता है और मानसिक तनाव को कम करता है। सावन का मौसम वैसे भी उमस और भारीपन लिए होता है, ऐसे में हरा रंग मानसिक रूप से सुकून देता है। शायद इसीलिए यह रंग लोगों को सहजता और ताजगी का एहसास कराता है।
हालांकि आज के समय में हरा रंग फैशन का हिस्सा भी बन गया है। डिजाइनर सावन स्पेशल कलेक्शन में हरे रंग को कई शेड्स और डिज़ाइनों में पेश करते हैं। लेकिन इसके पीछे की आस्था और परंपरा आज भी कायम है, जो पीढ़ियों से महिलाओं को जोड़ती आ रही है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और सामान्य जनविश्वासों पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाठकों को सावन माह के दौरान रंगों के महत्व और परंपरागत अनुशंसाओं की जानकारी देना है। हम यह दावा नहीं करते कि इन जानकारियों का पालन करना सभी के लिए आवश्यक या वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है।
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