

कजरी तीज 2025 इस बार 12 अगस्त को मनाई जाएगी। यह पर्व महिलाओं द्वारा कठिन व्रत, देवी पार्वती की पूजा और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए जाना जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस पर्व का महत्व।
कजरी तीज ( Img: Google)
New Delhi: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है कजरी तीज, जिसे उत्तर भारत के कई राज्यों में बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। कजरी तीज 2025 में 12 अगस्त को मनाई जाएगी, क्योंकि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का उदय 12 अगस्त को होगा।
कजरी तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कजरी तीज की तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:33 बजे प्रारंभ होगी और 12 अगस्त को सुबह 8:40 बजे समाप्त होगी। चूंकि तृतीया तिथि का उदय 12 अगस्त को हो रहा है, इसलिए व्रत और पूजन इसी दिन किया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो कि 12 अगस्त को सुबह 11:52 बजे से प्रारंभ होकर 13 अगस्त को सुबह 5:49 बजे तक रहेगा। यह योग अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
कजरी तीज व्रत और पूजन विधि
इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और शाम के समय देवी पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। पूजन के लिए नीम के पेड़ की पूजा की जाती है, जिसमें कुमकुम, हल्दी, चावल, मेहंदी, फल और मिठाई चढ़ाई जाती है। पूजन के बाद महिलाएं एकत्र होकर कजरी तीज व्रत कथा सुनती हैं। कुछ समुदायों में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। पारण के समय सत्तू, फल या मिठाई का सेवन किया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना से व्रत करती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह उपवास रखती हैं।
कजरी तीज का सांस्कृतिक महत्व
यह पर्व मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। राजस्थान के बूंदी जैसे क्षेत्रों में इस दिन देवी पार्वती की भव्य झांकियां और शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं। कजरी तीज न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह महिलाओं के सांस्कृतिक उत्साह, सामाजिक मेलजोल और पारिवारिक समर्पण का भी प्रतीक है।
कजरी तीज का पर्व महिलाओं के लिए अध्यात्म, व्रत, श्रद्धा और पारिवारिक सुख की भावना का पर्व है। शुभ मुहूर्त में देवी पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।