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सावन के पवित्र महीने में दूध और साग का सेवन क्यों वर्जित माना गया है? इस लेख में जानिए इसके पीछे की धार्मिक मान्यता और वैज्ञानिक कारण, जो आपके स्वास्थ्य और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जुड़ी हैं।
सावन 2025 (सोर्स-गूगल)
New Delhi: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। यह महीना पूरी श्रद्धा, उपवास और नियमों के पालन का प्रतीक होता है। इसी महीने में कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित माना गया है, जिनमें मुख्यतः दूध और साग शामिल हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक और वैज्ञानिक वजहें।
धार्मिक मान्यताएँ
सावन का महीना शिवभक्ति का प्रतीक है। इस दौरान भक्तजन व्रत रखते हैं, शिवलिंग पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो दूध भगवान शिव को अर्पित किया जाता है, उसका सेवन स्वयं नहीं करना चाहिए। यह एक प्रकार का त्याग माना जाता है, जो भक्ति का प्रतीक होता है।
साग का सेवन भी इस महीने में निषेध माना गया है क्योंकि सावन वर्षा ऋतु का समय होता है, जब हरी सब्जियों में कीटाणुओं और बैक्टीरिया की अधिकता होती है। इसलिए यह परंपरा स्वास्थ्य सुरक्षा से भी जुड़ी हुई है।
वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण
दूध का सेवन
वर्षा ऋतु में वातावरण में नमी और बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। इस मौसम में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और दूध जैसे भारी पदार्थ को पचाना मुश्किल होता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में दूध कफ बढ़ा सकता है, जिससे सर्दी, खांसी और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
साग का सेवन
हरी पत्तेदार सब्जियों में बारिश के समय कीटाणु और परजीवी पनपने लगते हैं। इस वजह से इन्हें खाने से पेट संबंधी समस्याएं जैसे डायरिया, पेट दर्द या फूड पॉइज़निंग हो सकती हैं। इसलिए सावधानी के तौर पर इनका सेवन वर्जित किया गया है।
आधुनिक दृष्टिकोण
डॉक्टर्स और न्यूट्रिशनिस्ट भी मानते हैं कि बरसात के मौसम में पत्तेदार सब्जियों और खुले दूध से परहेज करना चाहिए। यह न केवल धार्मिक आस्था का पालन है बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी सही है। यदि आप दूध का सेवन करना चाहते हैं, तो उबालकर और मसालों के साथ हल्का बनाकर लेना उचित होता है।
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