

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कल से हो रही है। मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ कलश स्थापना का विशेष महत्व है। जानें कलश स्थापना के नियम, मुहूर्त और पूजा विधि।
कलश स्थापना में बरतें सावधानी
New Delhi: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कुछ घंटों बाद होने जा रही है। देशभर में भक्त मां दुर्गा का आह्वान करेंगे और घर-घर में कलश स्थापना के साथ नौ दिनों की पूजा-अर्चना का शुभारंभ होगा। मंदिरों और पंडालों में भव्य सजावट होगी और श्रद्धालु माता रानी की आराधना करेंगे।
नवरात्रि में कलश स्थापना को अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इसे घटस्थापना भी कहते हैं। मान्यता है कि कलश स्थापना से घर में सुख-समृद्धि आती है और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब विधि-विधान से कलश स्थापित किया जाए।
नवरात्रि में पूजा का महत्व
इस बार कलश स्थापना के दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त सुबह 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। वहीं दूसरा अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक है। भक्त अपनी सुविधा के अनुसार इनमें से किसी भी मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं।
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पूजा स्थल को साफ करने के बाद वहां पर मिट्टी से एक छोटा घट बनाकर उसमें जौ बोएं। उसके बाद कलश में गंगाजल भरें और उसमें सुपारी, सिक्का, हल्दी, अक्षत और पंचरत्न डालें। कलश के ऊपर आम के पांच पत्ते रखें। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित करें। इसके बाद माता दुर्गा का आह्वान करके अखंड ज्योति प्रज्वलित करें और पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना करें।
शारदीय नवरात्रि को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। जगह-जगह पंडाल सज रहे हैं और देवी मंदिरों को फूलों और लाइटों से सजाया जा रहा है। भक्त मां दुर्गा की भक्ति में लीन होकर उपवास और विशेष पूजा करेंगे।