

गुरु पूर्णिमा एक पावन पर्व है जो ज्ञान, श्रद्धा और गुरु के महत्व को दर्शाता है। इसे आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह पर्व हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु का पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा को सशक्त बनाना और जीवन में आध्यात्मिक एवं नैतिक मार्गदर्शन को महत्व देना है।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)
New Delhi: गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन उन गुरुओं के सम्मान और स्मरण का अवसर होता है, जिनसे हमें जीवन में दिशा, ज्ञान और आत्मविकास का मार्गदर्शन मिलता है। यह पर्व न केवल हिंदू धर्म, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म में भी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई 2025 (गुरुवार) को मनाया जा रहा है।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई को रात्रि 1:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई को रात्रि 2:06 बजे
स्नान-दान का मुहूर्त: प्रातः 4:10 बजे से 4:50 बजे तक
पूजन का शुभ मुहूर्त: प्रातः 11:59 बजे से दोपहर 12:54 बजे तक
पूजन विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु प्रातःकाल स्नान कर घर को स्वच्छ करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। फिर पूजा स्थल पर एक सफेद कपड़ा बिछाकर वेदव्यास जी, शंकराचार्य, शुक्राचार्य आदि महान गुरुओं की तस्वीर या मूर्ति स्थापित की जाती है।
इनके समक्ष दीपक जलाकर चंदन, अक्षत, पुष्प, मिठाई, वस्त्र आदि अर्पित किए जाते हैं। गुरु मंत्र का जप करते हुए उन्हें पुष्पांजलि दी जाती है। इस दिन परिवार के बड़ों को भी गुरु समान मानकर आशीर्वाद लेना विशेष फलदायी होता है।
गुरु पूर्णिमा पर करें ये सरल उपाय (सोर्स-गूगल)
गुरु का महत्व
गुरु वह शक्ति हैं जो अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। वेदों में भी कहा गया है गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः। गुरु न केवल शिक्षा देने वाले होते हैं, बल्कि आध्यात्मिक मार्गदर्शक, जीवन के संकल्पों को दिशा देने वाले और कर्म-धर्म के सम्यक पथ प्रदर्शक भी होते हैं।
कौन हो सकता है गुरु?
गुरु केवल स्कूल-कॉलेज का शिक्षक नहीं होता। जो व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से उन्नत हो शांतचित्त, सच्चरित्र और ईश्वर के साक्षात्कार का मार्ग दिखा सके, वही सच्चा गुरु होता है। परिवार में माता-पिता, बड़े भाई-बहन, जीवन में कोई प्रेरक व्यक्ति भी गुरु हो सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा के विशेष उपाय
डिस्क्लेमर
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, पंचांग गणनाओं और परंपराओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी मान्य स्रोतों और सामाजिक परंपराओं पर आधारित है।