

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में भारत ने पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया। भारतीय प्रतिनिधि एल्डोस मैथ्यू पुन्नूस ने 1971 के युद्ध में पाक सेना द्वारा की गई यौन हिंसा और आज भी जारी अत्याचारों का हवाला देते हुए पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
New Delhi: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक अहम खुली बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान की पोल खोलते हुए उसके काले कारनामों को दुनिया के सामने उजागर किया। भारतीय राजनयिक एल्डोस मैथ्यू पुन्नूस ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान द्वारा 1971 के युद्ध में की गई यौन हिंसा और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की तीखी निंदा की।
पुन्नूस ने अपने संबोधन में कहा कि संघर्ष के दौरान की गई यौन हिंसा जघन्य अपराध है, जिसकी निंदा वैश्विक स्तर पर की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराध करने वालों को कानूनी कटघरे में लाना अनिवार्य है और उन्हें सजा मिलनी चाहिए, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।
1971 के युद्ध का जिक्र
भारत ने अपने संबोधन में 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई यौन हिंसा का मुद्दा उठाया। पुन्नूस ने कहा, '1971 में पाकिस्तानी सेना ने लाखों महिलाओं को निशाना बनाकर यौन उत्पीड़न किया। यह एक शर्मनाक और अमानवीय कृत्य था। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इन अपराधों का सिलसिला आज भी पाकिस्तान में बेखौफ जारी है।'
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। पुन्नूस ने कहा, 'पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों, के खिलाफ उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़े हैं। अपहरण, जबरन विवाह, यौन हिंसा और धर्म परिवर्तन की घटनाएं आम हो गई हैं।'
उन्होंने यह भी बताया कि इन घटनाओं का उल्लेख संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (OHCHR) की हालिया रिपोर्ट्स में भी किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान सरकार और प्रशासन इन घटनाओं को रोकने में पूरी तरह नाकाम रहा है।
पाकिस्तान की न्यायपालिका पर निशाना
भारत ने पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा, 'जो लोग मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं, वे खुद को न्याय का रक्षक बताते हैं। यह विडंबना है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका ऐसे अपराधियों को सजा देने के बजाय उन्हें शरण देती है।'
भारत ने इस मंच का उपयोग करते हुए विश्व समुदाय से अपील की कि वह पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर ध्यान दे और ऐसे मामलों में निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया जाए।