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पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित रिको डिक खनन परियोजना से जुड़े विदेशी विशेषज्ञों के ठहरने वाले परिसर पर फिदायीन हमला हुआ है। इस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने ली है। इससे पाकिस्तान की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं।
बलूचिस्तान में हुआ बड़ा फिदायीन हमला
Balochistan: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के नोकुंदी इलाके में स्थित फ्रंटियर कॉर्प्स (FC) के मुख्यालय के पास रविवार, 30 नवंबर को एक बड़ा फिदायीन हमला हुआ। यह हमला उस संवेदनशील कंपाउंड पर किया गया, जहां रिको डिक और सैंडक खनन प्रोजेक्ट से जुड़े विदेशी विशेषज्ञों, इंजीनियरों और कर्मचारियों के ठहरने और काम करने की व्यवस्था की गई थी। इस हमले में पांच बड़े धमाके हुए और उसके बाद सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी गई।
फिदायीन हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने ली है। BLF के प्रवक्ता मेजर ग्वाहरम बलूच ने एक बयान जारी कर बताया कि यह हमला उनकी सादो ऑपरेशनल बटालियन (SOB) यूनिट ने अंजाम दिया। हमला उस क्षेत्र को निशाना बनाते हुए किया गया, जहां पाकिस्तानी सरकार ने रिको डिक और सैंडक खनन प्रोजेक्ट से जुड़े विदेशी विशेषज्ञों और कर्मचारियों के लिए ठहरने की व्यवस्था की थी।
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अभी तक इस हमले में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, हमले के बाद से बलूचिस्तान के चगाई जिले में स्थित सभी अस्पतालों में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। हालांकि, इस हमले की गंभीरता इस बात से स्पष्ट होती है कि पाकिस्तान सरकार ने इस क्षेत्र को अपनी “सबसे सुरक्षित” विदेशी निवेश परियोजना के रूप में पेश किया था।
पाकिस्तान सरकार ने रिको डिक और सैंडक खनन प्रोजेक्ट को लेकर दुनिया भर से निवेश आकर्षित करने की कोशिश की है। रिको डिक खदान दुनिया की सबसे बड़ी सोना और तांबा खदानों में से एक मानी जाती है, जिसमें खरबों डॉलर मूल्य का खनिज दबा हुआ है। पाकिस्तान ने इस परियोजना को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी बातचीत की थी और पश्चिमी देशों से निवेश की अपील की थी।
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पाकिस्तानी सरकार रिको डिक खनन परियोजना के लिए अमेरिकी आयात-निर्यात बैंक (EXIM) से 35 हजार करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज भी प्राप्त कर चुकी है। लेकिन अब इस परियोजना से जुड़े विदेशी विशेषज्ञों के ठहरने के लिए बनाए गए कंपाउंड पर फिदायीन हमले ने इस परियोजना की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हमला पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर एक और बड़ा धक्का साबित हुआ है।
पाकिस्तान के लिए यह घटना कोई नई नहीं है, क्योंकि इस तरह के हमले पहले भी हो चुके हैं। इससे पहले 24 नवंबर को पेशावर स्थित FC हेडक्वार्टर पर भी एक फिदायीन हमला हुआ था, जिसकी जिम्मेदारी तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) के प्रॉक्सी ग्रुप जमात-उल-अहरार ने ली थी। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संकट बन चुका है, क्योंकि पाकिस्तान की सेना और ISI ने जिन आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया था, वही अब उनकी सेना पर हमले कर रहे हैं।
पाकिस्तान दशकों से आतंकवाद को अपने भू-राजनीतिक फायदे के लिए समर्थन दे रहा है। हालांकि, यह अब पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संकट बन चुका है, क्योंकि वे आतंकवाद को फैलाने की कोशिशों के कारण खुद ही इसके शिकार हो गए हैं। अब पाकिस्तानी सेना और सरकार का सामना उन्हीं आतंकवादियों से हो रहा है, जिन्हें उन्होंने खुद तैयार किया था।
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