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बलूचिस्तान में फिर से इंटरनेट ब्लैकआउट: क्वेटा में 24 घंटे के लिए डिजिटल सन्नाटा, जनता में रोष

बलूचिस्तान के क्वेटा में एक बार फिर इंटरनेट सेवाएं 24 घंटे के लिए बंद कर दी गई हैं। सरकार ने असामान्य कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है। अगस्त में भी इसी तरह इंटरनेट सेवाएं बंद की गई थीं, जिससे छात्रों, व्यापारियों और पत्रकारों को भारी नुकसान हुआ था।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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बलूचिस्तान में फिर से इंटरनेट ब्लैकआउट: क्वेटा में 24 घंटे के लिए डिजिटल सन्नाटा, जनता में रोष

Balochistan: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक बार फिर इंटरनेट सेवाएं ठप कर दी गई हैं। प्रांतीय राजधानी क्वेटा में शुक्रवार, 31 अक्टूबर को सरकार ने 24 घंटे के लिए इंटरनेट ब्लैकआउट का आदेश दिया है। बलूचिस्तान सरकार का कहना है कि यह कदम “गंभीर कानून-व्यवस्था की स्थिति” को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

इस कारण लिया गया फैसला

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को बलूचिस्तान सरकार ने पाकिस्तान के गृह मंत्रालय को पत्र भेजकर मोबाइल डेटा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित करने का अनुरोध किया था। पत्र में कहा गया कि संभावित खतरे और अशांति को देखते हुए क्वेटा जिले में 3जी और 4जी इंटरनेट सेवाओं को 24 घंटे के लिए बंद करना आवश्यक है, ताकि शांति और सुरक्षा बनाए रखी जा सके।

पहले भी ठप हो चुकी हैं इंटरनेट सेवाएं

यह पहली बार नहीं है जब बलूचिस्तान में इंटरनेट सेवाएं ठप की गई हैं। अगस्त 2025 में भी सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मोबाइल डेटा सेवाएं बंद कर दी थीं। हालांकि, उस समय बलूचिस्तान हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए इंटरनेट सेवाएं तत्काल बहाल करने का आदेश दिया था। अब दो महीने बाद, फिर से उसी तरह का ब्लैकआउट लागू किया गया है।

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जनता में बढ़ा गुस्सा

इंटरनेट सेवा के निलंबन ने एक बार फिर छात्रों, व्यवसायियों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कठिनाई में डाल दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहे हैं और अपने असाइनमेंट जमा करने में असमर्थ हैं। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां पहले से ही शैक्षिक संसाधनों की भारी कमी है।

क्वेटा, तुर्बत, खुजदार और पंजगुर जैसे शहरों में फ्रीलांसर्स और छोटे व्यापारियों ने बताया कि इंटरनेट बंद होने से उनका काम पूरी तरह ठप हो गया है। बहुत से लोग ऑनलाइन बिजनेस, डिज़ाइनिंग और आईटी सेवाओं के जरिए अपनी आजीविका चलाते हैं और यह अचानक ब्लैकआउट उनकी आर्थिक स्थिति पर सीधा असर डाल रहा है।

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मानवाधिकार संगठनों की आलोचना

मानवाधिकार संगठनों ने सरकार के इस फैसले को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार” बताया है। उनका कहना है कि सरकार बार-बार “सुरक्षा कारणों” का हवाला देकर डिजिटल अधिकारों को सीमित कर रही है। सोशल मीडिया पर भी नागरिकों ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई है और कहा है कि “इंटरनेट बंद करने से समस्याएं हल नहीं होतीं, बल्कि जनता और प्रशासन के बीच अविश्वास बढ़ता है।”

पाकिस्तान में बढ़ती डिजिटल सेंसरशिप पर चिंता

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान में इंटरनेट ब्लैकआउट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हर बार सुरक्षा या संवेदनशील घटनाओं के समय सरकार इंटरनेट बंद करने का सहारा लेती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति देश की डिजिटल प्रगति और लोकतांत्रिक संवाद को कमजोर कर रही है।

फिलहाल, बलूचिस्तान में यह 24 घंटे का ब्लैकआउट लागू है और नागरिक उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द ही सेवाओं को बहाल करेगी ताकि शिक्षा, कारोबार और संचार सामान्य रूप से शुरू हो सके।

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