New Delhi: आजकल हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए लोग कई तरह के डाइट प्लान को आजमा रहे हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय नाम है इंटरमिटेंट फास्टिंग। यह एक ऐसा डाइट पैटर्न है जिसमें दिन के कुछ घंटे व्यक्ति खाना खाता है और बाकी समय उपवास करता है। आमतौर पर 16:8 फास्टिंग पैटर्न सबसे ज्यादा अपनाया जाता है, यानी 16 घंटे उपवास और 8 घंटे खाने का समय।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे
- डॉक्टर्स और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि सही तरीके से किया जाए तो इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई फायदे हो सकते हैं।
- यह वजन घटाने और मोटापा कम करने में मदद करता है।
- शरीर में इंसुलिन लेवल नियंत्रित करने में सहायक है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिल सकता है।
- यह शरीर को डिटॉक्स करने और पाचन तंत्र सुधारने में मदद करता है।
- कुछ शोधों में पाया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग हृदय रोग के खतरे को कम कर सकता है।
क्या नुकसान भी हैं?
- हालांकि, हर डाइट की तरह इंटरमिटेंट फास्टिंग के भी कुछ नुकसान हो सकते हैं, खासकर यदि इसे बिना मार्गदर्शन के किया जाए।
- लंबे समय तक भूखे रहने से थकान, सिरदर्द और चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
- कुछ लोगों में यह पाचन संबंधी समस्या जैसे गैस, एसिडिटी और कब्ज बढ़ा सकता है।
- गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोग इसके लिए उपयुक्त नहीं हैं।
- यदि फास्टिंग के दौरान ज्यादा तैलीय और अस्वस्थ खाना खाया जाए तो फायदा मिलने के बजाय नुकसान हो सकता है।
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किसे अपनाना चाहिए?
विशेषज्ञ कहते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग सभी के लिए जरूरी नहीं है। यदि कोई व्यक्ति वजन घटाना चाहता है या फिटनेस गोल हासिल करना चाहता है तो वह इसे ट्राई कर सकता है, लेकिन पहले डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लेना जरूरी है। खासकर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को बिना परामर्श इसे शुरू नहीं करना चाहिए।
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डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। डाइनामाइट न्यूज़ इस लेख में दी गई जानकारी को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग पूरी तरह नुकसानदायक नहीं है, बल्कि सही तरीके से अपनाई जाए तो यह बेहद फायदेमंद हो सकती है। हालांकि यह सभी के लिए एक जैसी प्रभावी नहीं होती। इसलिए इसे शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना और संतुलित भोजन पर ध्यान देना ही समझदारी है।