

आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ ने एक बार फिर दर्शकों को यह यकीन दिला दिया है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है
सितारे ज़मीन पर मूवी रिव्यू (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ ने एक बार फिर दर्शकों को यह यकीन दिला दिया है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश देने का सशक्त जरिया भी हो सकता है। यह फिल्म साल 2007 की सुपरहिट फिल्म ‘तारे जमीन पर’ की सीधी सीक्वल नहीं है, लेकिन इसे एक ‘स्प्रिचुअल सीक्वल’ कहा जा रहा है, और इसकी वजह फिल्म की आत्मा में छिपी है।
फिल्म की खासियत
निर्देशक आर.एस. प्रसन्ना ने फिल्म को निर्देशित किया है और उन्होंने इस फिल्म की आत्मा को लेकर कहा, "कहानी और किरदार पूरी तरह बदल गए हैं, लेकिन भावना और उद्देश्य वहीं है, जो ‘तारे जमीन पर’ में था।" फिल्म में सामाजिक भेदभाव और मानसिक रूप से विशेष बच्चों को केंद्र में रखा गया है। खास बात यह है कि फिल्म में डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों ने अभिनय किया है, और उन्होंने अपनी सादगी और ऊर्जा से फिल्म को बेहद खास बना दिया है।
आमिर खान की दिल छू लेने वाली फिल्म (सोर्स-इंटरनेट)
फिल्म स्पैनिश फिल्म ‘चैंपियंस’ की आधिकारिक रीमेक है, लेकिन भारतीय सामाजिक और भावनात्मक परिप्रेक्ष्य में इसे बखूबी ढाला गया है। दिव्य निधि शर्मा द्वारा लिखित पटकथा दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है कि हम एक जैसे होते हुए भी कितने अलग हैं, और किस तरह हमारी सोच ही समाज में भेदभाव को जन्म देती है।
फिल्म का एक खास पहलू निर्देशक प्रसन्ना द्वारा साझा किया गया पर्सनल अनुभव भी है। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी ने फिल्म देखने के बाद कहा, “यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह एक एनर्जी है जो आप उन ‘सितारों’ से ले रहे हो।” यहां ‘सितारे’ शब्द का प्रयोग उन बच्चों के लिए किया गया है जिन्होंने अभिनय के जरिए इस फिल्म में जान फूंकी है।
फिल्म की रिलीज
हालांकि, फिल्म की रिलीज से पहले सोशल मीडिया पर इसे लेकर कई प्रकार की गलत सूचनाएं फैलाई गईं, जिसमें फिल्म की ओटीटी डील से लेकर सेंसर प्रमाण पत्र को लेकर अफवाहें शामिल थीं। इनका असर पहले दिन के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन पर भी देखा गया, लेकिन फिल्म देखने के बाद अधिकतर दर्शकों ने इसकी तारीफ की और सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
आमिर खान ने इस फिल्म के जरिए एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों को समझने और उन्हें सिनेमा के माध्यम से प्रस्तुत करने वाले एक सच्चे कलाकार हैं। उनके अभिनय में हमेशा की तरह सच्चाई, संवेदना और गहराई देखने को मिली।