Patna: बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण खत्म हो चुका है और 11 नवंबर को दूसरा फेज होने वाला है। चुनावी माहौल में अब राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर के हालिया बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। राजभर ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने हाल ही में देखा कि जहां भी 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ, वहां महागठबंधन की सरकार बनी।
हालांकि राजभर पहले एनडीए के सहयोगी रहे हैं, उनके इस बयान ने राजनीतिक समझ को चुनौती दी है। उन्होंने कहा, जब-जब ज्यादा वोटिंग हुई, राजद की सरकार बनी। बिहार में बहुत पेंच हैं। ओवैसी और प्रशांत किशोर सभी RJD के खिलाफ हैं। जनता का मिजाज असमंजस में है।
ओपी राजभर की गूगल विश्लेषण
राजभर ने अपने बयान में गूगल और सोशल मीडिया के आंकड़ों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हाई वोटिंग वाले पिछले चुनावों में RJD की सत्ता बरकरार रही है। उदाहरण के तौर पर, 1990 में लालू यादव की पहली सरकार में वोटिंग प्रतिशत 62.04% था। 1995 में 61.79%, 2000 में 62.57% वोटिंग हुई और इन हाई वोटिंग के दौर में RJD सत्ता में बनी रही।
राजभर ने आगे कहा कि नेता चाहे जितना बोल लें, लेकिन जनता मालिक है। उन्होंने जनता की अप्रत्याशित प्रतिक्रिया को भी चुनावी नतीजों पर असर डालने वाला बताया। उनके इस बयान से यह संकेत मिलता है कि वोटिंग प्रतिशत का चुनावी परिणाम पर बड़ा प्रभाव हो सकता है।
कम वोटिंग में नीतीश कुमार की सत्ता
हालांकि JDU के नीतीश कुमार के लिए यह पैटर्न अलग रहा है। 2005 में उनकी सत्ता में वापसी मात्र 46.5% वोटिंग में हुई। दूसरे 2005 चुनाव में 45.85% मतदान में भी वे सत्ता में बने रहे। 2010-2020 में वोट प्रतिशत बढ़ा, लेकिन सत्ता में कोई बदलाव नहीं हुआ। 2020 में 57.29% वोटिंग दर्ज हुई थी, लेकिन सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ।
पहले फेज में रिकॉर्ड वोटिंग
चुनाव आयोग के अनुसार पहले फेज में 18 जिलों की 121 सीटों पर 65.08% मतदान हुआ, जो एक नया रिकॉर्ड है। मुजफ्फरपुर में सबसे ज्यादा उत्साह दिखा, यहां 71.81% लोगों ने मतदान किया। पटना में यह संख्या 59.02% रही। समस्तीपुर में 71.74% और बेगूसराय में 69.87% मतदान हुआ। पूरे चरण में शांतिपूर्ण माहौल रहा और किसी भी बूथ पर रिपोलिंग की जरूरत नहीं पड़ी।
क्या हाई वोटिंग RJD की जीत की कुंजी है?
राजभर के बयान के अनुसार हाई वोटिंग RJD के लिए लाभदायक रही है। लेकिन दूसरी तरफ JDU की सत्ता में वापसी ने यह दिखाया कि वोट प्रतिशत सिर्फ एक संकेत हो सकता है, परिणाम नहीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि पहले फेज में रिकॉर्ड वोटिंग के बावजूद, अंतिम परिणाम 14 नवंबर को ही स्पष्ट होगा।
Bihar Elections: बिहार में थम गया चुनावी प्रचार, जानें अंतिम दिन किन दिग्गज नेताओं ने झोंकी ताकत
राजभर का यह बयान महागठबंधन और NDA दोनों के लिए रणनीतिक चिंता बढ़ा सकता है। राजभर ने कहा, जनता का मिजाज किसी के समझ के बाहर है। नेता चाहे कुछ भी कर लें, जनता मालिक है। इसका मतलब यह हुआ कि अगले चरण की वोटिंग और अंतिम नतीजे दोनों ही राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकते हैं।

