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जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक फैला आतंकी जाल: पोस्टर से खुला व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क का राज, अक्टूबर 2025 में शुरू हुई थी कहानी

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टरों से शुरू हुई जांच के बाद एक बड़े व्हाइट कॉलर आतंकी नेटवर्क का खुलासा किया है। इस मॉड्यूल में डॉक्टर, इमाम और छात्र शामिल थे, जो पाकिस्तान हैंडलर्स से जुड़े थे। इन्हीं संदिग्धों के तार दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट से भी जुड़ रहे हैं।
Post Published By: Asmita Patel
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जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक फैला आतंकी जाल: पोस्टर से खुला व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क का राज, अक्टूबर 2025 में शुरू हुई थी कहानी

New Delhi: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 19 अक्टूबर 2025 को श्रीनगर के बुनपोरा नौगाम इलाके में लगे कुछ आतंकी पोस्टरों से जो जांच शुरू की, उसने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश कर दिया। पुलिस की यह जांच न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पाकिस्तान तक जा पहुंची। इस नेटवर्क में डॉक्टर, इमाम, छात्र और शिक्षित पेशेवर शामिल थे, जो एन्क्रिप्टेड चैनलों के ज़रिए पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स से संपर्क में रहते थे।

अक्टूबर 2025 में शुरू हुई कहानी

19 अक्टूबर को नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के धमकी भरे पोस्टर चिपकाए गए थे, जिनमें सुरक्षाबलों को निशाना बनाने और स्थानीय लोगों को सहयोग न करने की चेतावनी दी गई थी। पुलिस ने तुरंत FIR नंबर 162/2025 दर्ज की, जिसमें UAPA, BNS, एक्सप्लोसिव सब्सटेंस एक्ट और आर्म्स एक्ट की कई धाराएं लगाई गईं। जांच शुरू हुई और धीरे-धीरे सामने आया कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं, बल्कि एक अंतरराज्यीय आतंकी फंडिंग नेटवर्क का हिस्सा था।

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शिक्षित चेहरों के पीछे छिपा आतंकी नेटवर्क

जांच में पता चला कि यह नेटवर्क रेडिकलाइज्ड प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स का था, जो धर्मार्थ संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों के ज़रिए फंडिंग और ब्रेनवॉशिंग का काम करते थे। ये लोग एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर कोड भाषा में बातचीत करते थे और फंड ट्रांसफर, लॉजिस्टिक्स, हथियार खरीद और IED निर्माण तक का काम संभालते थे। फंडिंग मुख्य रूप से “सोशल वेलफेयर” और “एजुकेशनल चैरिटी” के नाम पर जुटाई जाती थी, जबकि असल में इसका इस्तेमाल विस्फोटक खरीदने और आतंकी घटनाओं की योजना बनाने में किया जाता था।

पोस्टर चिपकाने वालों की पहचान और गिरफ्तारी

1. अरिफ निसार दार उर्फ साहिल, नौगाम, श्रीनगर
2. यासिर-उल-अशरफ, नौगाम, श्रीनगर
3. मकसूद अहमद दार उर्फ शाहिद, नौगाम, श्रीनगर
4. मौलवी इरफान अहमद, शोपियां की मस्जिद के इमाम
5. जमीर अहमद अहंगर उर्फ मुतलाशा, वाकुरा, गंदरबल
6. डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई उर्फ मुसाइब, कोइल, पुलवामा
7. डॉ. आदिल, वानपोहा, कुलगाम

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फरीदाबाद यूनिवर्सिटी से निकला टेरर लिंक

सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब जांच डॉ. मुजम्मिल अहमद गनाई तक पहुंची। वह फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जनरल फिजिशियन के तौर पर कार्यरत था। उसके कमरे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट, टाइमर, बैटरियां, रिमोट डिवाइस और एक असॉल्ट राइफल बरामद हुई। इसके अलावा, धौज गांव के एक मकान से 2563 किलो विस्फोटक मिला। यह मकान हाफिज इश्तियाक नामक मौलाना का था, जिसे भी हिरासत में लिया गया।

महिला डॉक्टर की भूमिका भी आई सामने

जांच में सामने आया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की ही डॉ. शाहीन शाहिद, जो लखनऊ की रहने वाली है, डॉ. मुजम्मिल के संपर्क में थी। उसकी स्विफ्ट कार का इस्तेमाल विस्फोटक सामग्री ले जाने में हुआ था। उसके फोन से कई पाकिस्तानी नंबर मिले हैं, जिन पर जांच एजेंसियां साइबर ट्रैकिंग कर रही हैं।

CCTV फुटेज ने खोला डॉक्टर आदिल का भेद

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) के डॉक्टर आदिल की पहचान CCTV फुटेज से हुई। वह पोस्टर चिपकाने और फंडिंग ट्रांसफर में शामिल था। सहारनपुर में गिरफ्तार किए जाने पर उसके लॉकर से AK-47 राइफल बरामद हुई।

दिल्ली ब्लास्ट में कनेक्शन

10 नवंबर 2025 को दिल्ली के लाल किले के पास हुंडई i20 कार में हुए विस्फोट ने इस नेटवर्क के दिल्ली कनेक्शन को उजागर कर दिया। ब्लास्ट में 12 लोगों की मौत और 20 से ज्यादा घायल हुए। जांच में पाया गया कि कार का ड्राइवर डॉ. उमर मोहम्मद, पुलवामा निवासी था और वह भी इसी फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़ा था। वह CCTV में कार चलाते हुए देखा गया, जो कुछ मिनट बाद धमाके से उड़ गई। एनआईए और दिल्ली पुलिस को शक है कि कार में अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और डेटोनेटर का मिश्रण इस्तेमाल हुआ।

केंद्र सरकार की सख्त प्रतिक्रिया

गृह मंत्री अमित शाह ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जिसमें गृह सचिव गोविंद मोहन, IB प्रमुख तपन डेका, दिल्ली पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा और NIA प्रमुख सदानंद वसंत दाते शामिल हुए। बैठक में दिल्ली, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ाने और नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करने का आदेश दिया गया।

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