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Stock Market: विदेशी बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितता से हिला बाजार, सेंसेक्स-निफ्टी में फिर गिरावट; जानें वजह

शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी रहा। विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक बाजारों में कमजोरी और मुनाफावसूली ने बाजार पर दबाव बढ़ाया। सेंसेक्स 84,374 और निफ्टी 25,852 पर खुला, निवेशक अब सतर्क रुख में दिखे।
Post Published By: ईशा त्यागी
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Stock Market: विदेशी बिकवाली और वैश्विक अनिश्चितता से हिला बाजार, सेंसेक्स-निफ्टी में फिर गिरावट; जानें वजह

New Delhi: हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही प्रमुख इंडेक्स लाल निशान में खुले और दिनभर निवेशक सतर्क रुख अपनाते नजर आए। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 0.04% गिरकर 84,374.88 अंक पर और निफ्टी 0.10% लुढ़ककर 25,852.00 अंक पर खुला। यह गिरावट भले ही मामूली दिखे, लेकिन इसके पीछे कई गहरी वजहें हैं- विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक बाजारों में कमजोरी, और घरेलू स्तर पर मुनाफावसूली की लहर।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली बनी सबसे बड़ी वजह

इस हफ्ते के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय इक्विटी बाजार में लगातार बिकवाली की है। डॉलर इंडेक्स की मजबूती और अमेरिकी बांड यील्ड के बढ़ने से विदेशी पूंजी का रुख भारतीय बाजारों से बाहर की ओर हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, एफआईआईज़ ने बीते कुछ सत्रों में करीब 7,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है।

दरअसल, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका और फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर नीति को लेकर अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों को सतर्क कर दिया है। ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहने की संभावना से जोखिम वाले एसेट क्लास यानी इक्विटी से निवेशक दूरी बना रहे हैं। भारतीय बाजार, जो पिछले कुछ महीनों से रिकॉर्ड स्तर पर चल रहा था, अब स्वाभाविक रूप से प्रॉफिट बुकिंग (मुनाफावसूली) के दौर में प्रवेश कर चुका है।

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वैश्विक संकेतों ने बढ़ाई अनिश्चितता

गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार में भी कमजोरी देखी गई। डाऊ जोन्स 109 अंक गिरा, S&P 500 68 अंक लुढ़का, और नैस्डेक में तो 377 अंकों यानी 1.57% की भारी गिरावट दर्ज की गई। टेक्नोलॉजी शेयरों में आई गिरावट और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के धीमे संकेतों ने वैश्विक निवेशकों का मूड बिगाड़ दिया।

इसी के साथ एक और अहम फैक्टर रहा-

अमेरिका और चीन के बीच रेयर अर्थ्स और क्रिटिकल मिनरल्स पर समझौता सिर्फ एक साल के लिए हुआ है। इससे निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक राहत नहीं मिली। हालांकि, चीनी सामानों पर टैरिफ 57% से घटाकर 47% किया जाना एक सकारात्मक संकेत था, लेकिन वह बाजार की कुल निराशा को कम नहीं कर सका।

एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई इंडेक्स और टॉपिक्स तो रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे, मगर दक्षिण कोरिया का कोस्पी और ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 200 सीमित दायरे में रहे।
इन मिले-जुले संकेतों ने भारतीय बाजार को भी अनिश्चित माहौल में डाल दिया।

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

घरेलू मोर्चे पर मुनाफावसूली और सेक्टोरल दबाव

घरेलू स्तर पर पिछले कई हफ्तों से लगातार तेजी के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली (Profit Booking) शुरू कर दी है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, निफ्टी 26,000 के करीब पहुंचने के बाद वैल्यूएशन काफी ऊंचे स्तर पर थे, जिससे शॉर्ट टर्म निवेशकों ने अपने लाभ बुक करने को प्राथमिकता दी।

शुक्रवार के कारोबार में FMCG, ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर में हल्की तेजी जरूर दिखी, लेकिन हेल्थकेयर, मेटल और रियल्टी शेयरों पर दबाव बना रहा। निफ्टी हेल्थकेयर इंडेक्स 0.22%, मेटल इंडेक्स 0.11% और रियल्टी 0.09% तक फिसले। यह संकेत देता है कि बाजार में फिलहाल रोटेशनल ट्रेडिंग चल रही है- यानी एक सेक्टर में मुनाफावसूली और दूसरे में सीमित खरीदारी।

मौजूदा माहौल में निवेशक “सेफ” रणनीति अपना रहे हैं। विदेशी बिकवाली और वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारतीय बाजार के दीर्घकालिक फंडामेंटल्स मजबूत हैं। डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DIIs) यानी भारतीय म्यूचुअल फंड्स और बीमा कंपनियों ने बाजार में खरीदारी बरकरार रखी है। इससे बड़ी गिरावट फिलहाल टल गई है।

निफ्टी और सेंसेक्स भले ही हल्के लाल निशान में हों, लेकिन मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी अभी भी बनी हुई है। लगभग 1400 से अधिक शेयरों में तेजी दर्ज की गई, जबकि 1000 के करीब शेयर गिरे। यह बाजार में “सेलेक्टिव अप्रोच” का संकेत है- निवेशक अब हर स्टॉक नहीं, बल्कि मजबूत कंपनियों में ही पैसा लगा रहे हैं।

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गिरावट अस्थायी, फंडामेंटल्स अब भी मजबूत

कुल मिलाकर, शुक्रवार की गिरावट किसी घबराहट का संकेत नहीं, बल्कि प्राकृतिक बाजार सुधार (market correction) का हिस्सा है। विदेशी बिकवाली, वैश्विक संकेतों की कमजोरी और ऊंचे वैल्यूएशन के चलते निवेशकों ने फिलहाल जोखिम घटाया है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि आने वाले हफ्तों में अमेरिकी बाजार स्थिर होते हैं और घरेलू कॉरपोरेट नतीजे मजबूत आते हैं, तो निफ्टी फिर से 26,000 के ऊपर जा सकता है।

डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है, यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैनिवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें

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