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CBDT ने आम टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए ITR फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। यह छूट उन टैक्सदाताओं के लिए है जिन्हें अकाउंट ऑडिट की जरूरत नहीं होती। रिटर्न फाइलिंग के समय किन जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता है, आइए जानते हैं।
ITR फाइल करने की अंतिम तारीख (सोर्स-गूगल)
New Delhi: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने आयकर रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर अब 15 सितंबर 2025 कर दी है। यह राहत सिर्फ उन्हीं टैक्सपेयर्स के लिए है जिनके खातों का ऑडिट नहीं होता, जैसे कि सैलरीड क्लास, पेंशनर्स और छोटे व्यापारी। अन्य टैक्सपेयर्स को निर्धारित पुरानी समयसीमा के तहत ही रिटर्न दाखिल करना होगा।
इस नई समय सीमा से टैक्सपेयर्स को अपने दस्तावेज़ों को व्यवस्थित करने का और समय मिल गया है। रिटर्न सही और समय पर दाखिल करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होगी।
वेतनभोगियों का सबसे जरूरी दस्तावेज
फॉर्म 16 आपके एम्प्लॉयर द्वारा दिया गया एक सर्टिफिकेट होता है जिसमें आपकी कुल सैलरी, कटे हुए TDS और टैक्स की पूरी डिटेल होती है। इससे यह मिलान करना आसान हो जाता है कि इनकम टैक्स पोर्टल पर भरा गया डेटा सही है या नहीं।
अलग-अलग स्त्रोतों से हुई कमाई के लिए
फॉर्म 16A: फिक्स्ड डिपॉजिट, इंश्योरेंस कमीशन जैसी इनकम पर TDS की जानकारी देता है।
फॉर्म 16B: 50 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी खरीदने पर विक्रेता का TDS काटने के बाद जारी होता है।
फॉर्म 16C: अगर आप 50,000 रुपये से अधिक किराया देते हैं तो किराएदार को यह फॉर्म मकान मालिक को देना होता है।
फॉर्म 16D: प्रोफेशनल्स और कॉन्ट्रैक्टर्स को पेमेंट देने पर TDS से जुड़ा होता है।
इन सभी फॉर्म्स से अलग-अलग आय के स्रोतों की सही जानकारी मिलती है, जो ITR भरते समय जरूरी होती है।
आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख (सोर्स-गूगल)
डिजिटल रिकॉर्ड
फॉर्म 26AS: आपकी टैक्स कटौती (TDS/TCS) का पूरा रिकॉर्ड होता है।
AIS (Annual Information Statement): बैंक, शेयर, म्यूचुअल फंड, FD जैसी इनकम की विस्तृत जानकारी।
TIS (Taxpayer Information Summary): AIS की संक्षिप्त जानकारी, जिससे टैक्सपेयर्स को जल्दी समझ आए।
ये सभी दस्तावेज इनकम टैक्स पोर्टल पर लॉगिन करके डाउनलोड किए जा सकते हैं।
निवेश से हुई कमाई को न भूलें
अगर आपने स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड या प्रॉपर्टी में निवेश किया है और उसे बेचा है, तो उसके लाभ (Capital Gain) को बताना जरूरी है। इसके लिए अपने ब्रोकर या म्यूचुअल फंड हाउस से कैपिटल गेन स्टेटमेंट जरूर प्राप्त करें।