

वैश्विक तनाव, तेल की कीमतों में उछाल और रुपये में गिरावट के बीच भारतीय बाजारों में गिरावट आई। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
निवेशकों में घबराहट ( सोर्स - इंटरनेट )
नई दिल्ली: आज भारतीय शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। उतार-चढ़ाव के एक दिन बाद प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, सेंसेक्स 573 अंकों की गिरावट के साथ 81,118.60 पर और निफ्टी 170 अंकों की गिरावट के साथ 24,718.60 पर बंद हुआ। शुरुआती कारोबार में दोनों सूचकांकों में करीब 1.7% की गिरावट आई, हालांकि दिन के अंत तक इसमें थोड़ी रिकवरी देखने को मिली। एक दिन की इस गिरावट के कारण शेयर बाजार का कुल बाजार पूंजीकरण करीब 2.4 लाख करोड़ रुपये घटकर 447.2 लाख करोड़ रुपये रह गया। गिरावट के कारण
शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की शुरुआत 86.25 पर हुई, जो पिछले दिन के मुकाबले 73 पैसे कम है। 8 मई के बाद से रुपये में यह सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट है। रुपये की कमजोरी से आयात महंगा होता है, महंगाई बढ़ती है और विदेशी निवेशकों के लिए भारत का आकर्षण कम होता है।
भू-राजनीतिक तनाव के कारण निवेशकों ने इक्विटी बाजार से पैसा निकालकर सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख किया। सोने, डॉलर और सरकारी बॉन्ड की मांग बढ़ी। भारत में सोने की कीमतों में 2% की बढ़ोतरी हुई, जबकि डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड मजबूत हुए। जब निवेशक जोखिम से दूर रहते हैं, तो शेयर बाजार में गिरावट आना तय है।
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौता हो गया है, लेकिन बाजार को इससे कहीं ज्यादा की उम्मीद थी। समझौते की शर्तों में स्पष्टता की कमी के कारण बाजार में अनिश्चितता बनी रही, जिसका निवेश धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा।
ईरान पर हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया। डब्ल्यूटीआई और ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 10% से अधिक की बढ़ोतरी हुई। भारत जैसे बड़े तेल आयातक देश के लिए यह स्थिति महंगी साबित होती है क्योंकि इससे आयात लागत तो बढ़ती ही है, साथ ही महंगाई भी प्रभावित होती है।
शेयर बाजार में गिरावट का सबसे बड़ा कारण इजरायल द्वारा ईरान पर सैन्य हमला माना जा रहा है। इजरायली वायुसेना ने ईरान की परमाणु सुविधा, मिसाइल निर्माण इकाइयों और सैन्य ठिकानों पर हमला किया। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे 'ईरान के परमाणु कार्यक्रम के केंद्र पर हमला' बताया और स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई कई दिनों तक चल सकती है। इस तनाव से वैश्विक निवेशकों में दहशत फैल गई, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा।