New Delhi: भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपने इम्पैक्टफुल प्रदर्शन से पूरी दुनिया को चौंका दिया है। अप्रैल-जून तिमाही (Q1 FY26) के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी होते ही, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती की बात हो रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों में, भारत की जीडीपी में 7.8% की शानदार वृद्धि दर्ज की गई है, जो न केवल उम्मीदों से कहीं अधिक है, बल्कि यह साबित करता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद तेजी से बढ़ रही है।
आंकड़ों की गवाही
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वास्तविक जीडीपी इस तिमाही में 47.89 लाख करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान तिमाही में 44.42 लाख करोड़ रुपये थी। वहीं, नाममात्र जीडीपी 86.05 लाख करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल के 79.08 लाख करोड़ रुपये से 8.8% अधिक है। विशेषज्ञों के अनुमानों की तुलना में, यह प्रदर्शन उल्लेखनीय है, क्योंकि अधिकांश इकोनॉमिस्ट ने 6.3% से 7% के बीच जीडीपी वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया था, जिसमें औसत अनुमान 6.7% था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी 6.5% की वृद्धि का अनुमान जताया था।
सक्रीय सेक्टर और प्रदर्शन
भारत की अर्थव्यवस्था में विभिन्न सेक्टरों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है, जिससे इस वृद्धि को बल मिला है। कृषि और खनन क्षेत्र में 2.8% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो पिछले साल की 2.2% से अधिक है। कृषि क्षेत्र ने 3.7% की वृद्धि दिखाई, जो पिछले साल के 1.5% से बेहतर है। हालांकि, खनन क्षेत्र में 3.1% की गिरावट देखी गई।
वहीं, सेकेंडरी सेक्टर (विनिर्माण और बिजली) ने 7% की वृद्धि की है, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र ने 7.7% की वृद्धि दिखाई। टर्टियरी सेक्टर (सेवाओं का क्षेत्र) ने 9.3% की शानदार वृद्धि दर्ज की, जिसमें व्यापार, होटल, परिवहन, कम्युनिकेशन और प्रसारण सेवाओं ने 8.6% की वृद्धि की, जो पिछले साल के 5.4% से काफी बेहतर है।
सरकारी खर्च की भूमिका
केंद्र सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर में 52% की वृद्धि ने अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निर्माण और कृषि क्षेत्रों ने भी मजबूती से प्रदर्शन किया, जबकि विमानन कार्गो, जीएसटी संग्रह और इस्पात उत्पादन में भी वृद्धि देखने को मिली। केयरएज रेटिंग्स की मुख्य इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा के अनुसार, सार्वजनिक खर्च, ग्रामीण मांग में सुधार और मजबूत सेवा क्षेत्र जीडीपी वृद्धि को सपोर्ट करेंगे।
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चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि, वैश्विक व्यापार में उठने वाले रिस्क अभी भी बरकरार हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर 25% शुल्क और रूसी तेल व्यापार पर भी 25% अतिरिक्त शुल्क ने चिंता की लकीरें खड़ी की हैं। अर्थशास्त्री का अनुमान है कि अगर यह उच्च टैक्स स्थिर रहता है, तो पूरे साल की जीडीपी वृद्धि में 30 आधार अंकों की कमी आ सकती है। फिर भी, उन्होंने यह कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की घरेलू मांग पर निर्भरता इसे इस मुश्किल से बचाएगी।
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भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत बनी हुई है। आने वाले महीनों में शेयर बाजार में उछाल और रोजगार के अवसरों में वृद्धि की संभावना है। इसके साथ ही, सरकार की पहल, सरकारी खर्च, और घरेलू मांग की मजबूती भारत की आर्थिक वृद्धि को लगातार बनाए रखेगी।