New Delhi: अमेरिका की व्यापार नीतियों को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डॉ. सी. रंगराजन ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियों को ‘आत्मघाती’ बताते हुए कहा कि इनसे न केवल वैश्विक व्यापार को झटका लगा है, बल्कि खुद अमेरिका के लिए भी ये नीतियां गंभीर खतरा बन सकती हैं।
ट्रंप की टैरिफ नीतियां अमेरिका के लिए ही आत्मघाती
आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन के 15वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए रंगराजन ने कहा कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी (शुल्क नीति) ने पूरी दुनिया में अस्थिरता फैला दी है। ग्लोबल ट्रेड रुझानों को ठप करने वाली इन नीतियों के कारण व्यापार में खुलेपन की भावना को गहरी चोट पहुंची है।
उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन की संरक्षणवादी नीतियों (protectionist policies) से वैश्विक स्तर पर अलग-अलग स्वतंत्र व्यापार गुट उभर रहे हैं, जो एक खतरनाक संकेत है। हालांकि उन्होंने ‘BRICS’ जैसे गुटों का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत दिए कि ऐसी प्रवृत्तियां वैश्विक समन्वय के लिए बाधक बन रही हैं।
रंगराजन ने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका के नीति-निर्माताओं को यह समझना होगा कि टैरिफ और सीमाएं लगाने से दीर्घकालिक आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि यह उनकी खुद की अर्थव्यवस्था के लिए भी विनाशकारी हो सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अमेरिका “समझदारी” से काम लेगा और आत्मघाती नीतियों की दिशा से हटेगा।
भारत पर भी भारी असर
रंगराजन ने यह भी बताया कि भारत इन वैश्विक नीतिगत बदलावों से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है। उन्होंने देश की आर्थिक असमानता को उजागर करते हुए कहा कि भारत की जीडीपी में छह प्रमुख राज्य- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल- 52% योगदान करते हैं, जबकि बाकी राज्य 48%।
उन्होंने क्षेत्रीय असमानता का उदाहरण देते हुए बताया कि गोवा की प्रति व्यक्ति आय बिहार की तुलना में लगभग 10 गुना ज्यादा है, जो देश में आर्थिक असंतुलन की गहरी खाई को दर्शाता है।
विकसित भारत की ओर बढ़ने के लिए व्यापक रणनीति जरूरी
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में क्या किया जाना चाहिए, इस पर भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की। रंगराजन ने कहा कि भारत को प्रति व्यक्ति आय को 18,000 अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने के लिए एक सुसंगत और दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी।
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इसके लिए उन्होंने पांच प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की बात कही-
निवेश दर में 2% की वृद्धि,
नई तकनीकों का अपनाव,
श्रम प्रधान क्षेत्रों का विकास,
सामाजिक अवसंरचना (स्वास्थ्य और शिक्षा) का सशक्तीकरण,
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में सुधार।
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रंगराजन ने कहा कि यह लक्ष्य केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों का समेकित प्रयास होना चाहिए। सरकार, उद्योग और समाज तीनों को मिलकर ही इस यात्रा को सफल बनाना होगा।

