

लंबे समय से अशांति से जूझ रहे देश के महत्वपूर्ण राज्य मणिपुर को लेकर एक बड़ी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर आ रही है। पूरी खबर
डॉ पुनीत गोयल मणिपुर के मुख्य सचिव नियुक्त
नई दिल्ली: देश का मणिपुर राज्य केन्द्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। केन्द्रीय सरकार विपक्ष की तमाम आलोचनाओं के बावजूद कोशिश कर रही है कि अशांत मणिपुर को फिर से पटरी पर लाया जाए।
इसी कड़ी में केन्द्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेते हुए राज्य के वर्तमान मुख्य सचिव प्रशांत कुमार सिंह की छुट्टी कर दी है। ये 1993 बैच के मणिपुर कैडर के आईएएस हैं और मणिपुर के मुख्य सचिव के रुप में अपना 6 महीने का कार्यकाल भी पूरा नही कर पाये और इन्हें केन्द्र में लाकर कम महत्व वाली पोस्टिंग राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का सचिव बना दिया गया।
जबकि इसी पद पर तैनात डा. पुनीत कुमार गोयल को मणिपुर का नया मुख्य सचिव नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया गया। गोयल AGMUT कैडर के 1991 बैच के आईएएस अफसर हैं। गोयल की रिटायरमेंट अगस्त 2026 में है। गोयल पहले भी गोवा के मुख्य सचिव रह चुके हैं और मणिपुर में इनकी नियुक्ति AGMUT से मणिपुर कैडर में इंटर कैडर डिप्लेशन के जरिए हुई है।
डाइनामाइट न्यूज़ के खोजी रिपोर्टरों ने जब इस बड़े उलटफेर के पीछे का कारण ढ़ूंढ़ा तो पता चला कि इसके पीछे पूर्व केन्द्रीय गृह सचिव और वर्तमान में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की मौन स्वीकृति है।
भल्ला को वर्तमान परिदृश्य में सबसे चुनौतीपूर्ण राज्य मणिपुर का राज्यपाल इसी साल जनवरी में नियुक्त किया गया था। कहा जाता है कि भल्ला के नाम का चयन केन्द्रीय सत्ता ने स्वयं किया था।
5 साल तक भारत के गृह सचिव रहे भल्ला 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईएएस अधिकारी हैं और इन्हें सत्ता का काफी भरोसेमंद माना जाता है। इसकी वजह इससे भी पता चलती है कि इनके साथ 5 साल तक कैबिनेट सचिव रहे राजीव गाबा राज्यपाल बनने में नाकामयाब रहे और भल्ला ने बाजी मार ली।
इधर, भल्ला ने बतौर राज्यपाल मणिपुर में कई प्रभावशाली कदम उठाये हैं। जिसका नतीजा है कि फरवरी 2025 में राष्ट्रपति शासन लागू होने के दौरान भल्ला के नेतृत्व में शांति व स्थायित्व की बहाली के प्रयास तेज हुए हैं। राज्य के लोगों में भरोसे का माहौल बना है।
भल्ला ने पद भार ऐसे समय में संभाला जब मणिपुर गंभीर जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा था। इस उच्च प्रशासनिक फेरबदल को भल्ला का एक बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है।