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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दरभंगा सीट पर प्लूरल्स पार्टी प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी बड़ी पिछड़त में हैं। बीजेपी के संजय सरावगी सात राउंड के बाद बढ़त बनाए हुए हैं। जानें किसके बीच कड़ा मुकाबला है और क्यों पुष्पम प्रिया इस बार वोटरों को प्रभावित नहीं कर पाईं।
क्या उतरेगा पुष्पम प्रिया के चेहरे से मास्क?
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों की गिनती जारी है और दरभंगा सीट से बड़ी खबर सामने आ रही है। प्लूरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी भारी अंतर से पीछे चल रही हैं। सातवें राउंड तक बीजेपी के संजय सरावगी मजबूत स्थिति में पहुंच चुके हैं, जबकि विकाशशील इंसान पार्टी (VIP) के उमेश साहनी भी दूसरे नंबर की दौड़ में टिके हुए हैं।
2020 में भी इस सीट पर BJP के संजय सरावगी विजयी रहे थे और इस बार भी उन्हीं का पलड़ा भारी दिख रहा है। अभी तक के रुझानों के मुताबिक, सरावगी ने उमेश साहनी पर लगभग 4,800 वोटों की बढ़त बना ली है, जबकि पुष्पम प्रिया 26,000 से अधिक वोट से पीछे हैं। यह अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है।
पुष्पम प्रिया लंबे समय से अपने काले परिधान और मास्क की वजह से चर्चा में रहती हैं। उन्होंने यह वादा किया था कि वह अपना मास्क केवल चुनाव जीतने के बाद ही उतारेंगी। चूंकि इस चुनाव में भी वह भारी अंतर से पीछे चल रही हैं, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार भी उनका मास्क चेहरे पर बना रहेगा? रुझानों को देखते हुए लगता है कि उनका यह प्रतीकात्मक संकल्प पूरा होने की संभावना कम है।
पुष्पम प्रिया चौधरी ने 2020 में 'प्लूरल्स पार्टी' की स्थापना की थी। उनका लक्ष्य बिहार में जाति और धर्म से ऊपर उठकर नई राजनीति की शुरुआत करना था। उनकी पहचान हमेशा काले परिधान और मास्क को हटाने की शपथ के कारण चर्चा में रहती है। उन्होंने घोषणा की थी कि जीत मिलने पर ही वे मास्क उतारेंगी।
पुष्पम प्रिया का राजनीतिक बैकग्राउंड भी मजबूत रहा है। वह पूर्व JDU विधायक विनोद कुमार चौधरी की बेटी हैं। उनके दादा प्रोफेसर उमाकांत चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। उनके चाचा विनय कुमार चौधरी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में बेनीपुर सीट से जीत हासिल की थी।
पुष्पम प्रिया ने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री हासिल की है। राजनीति में आने से पहले उन्होंने बिहार के पर्यटन और स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार के रूप में काम किया था। 2020 में उनकी पार्टी ने 148 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उन्हें एक भी जीत नहीं मिली थी।
दरभंगा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा था, लेकिन शुरुआती रुझानों से साफ है कि इस बार बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत है। स्थानीय मुद्दे, सरावगी की पुरानी पकड़ और VIP के उमेश साहनी की चुनावी सक्रियता ने मुकाबले को दिलचस्प बनाया है। वहीं, प्लूरल्स पार्टी अभी भी वोटों में अपना आधार मजबूत नहीं कर पाई है।
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गिनती जारी है और अंतिम नतीजों में बदलाव संभव है, लेकिन मौजूदा आंकड़े संकेत देते हैं कि संजय सरावगी अपनी सीट बचाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। दरभंगा की राजनीतिक परिस्थिति एक बार फिर पारंपरिक दलों के पक्ष में जाती दिख रही है।