

बिहार के न्यायिक इतिहास में एक नई कड़ी जुड़ गई है। बिहार मानवाधिकार आयोग के निबंधक और अवकाश प्राप्त न्यायाधीश शैलेन्द्र कुमार सिंह का कार्यकाल अब 11 जनवरी 2026 तक बढ़ा दिया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार के गृह विभाग की विशेष शाखा द्वारा आधिकारिक अधिसूचना जारी की गई है।
सरकार ने बढ़ाया कार्यकाल
Muzaffarpur (Bihar): बिहार के न्यायिक इतिहास में एक नई कड़ी जुड़ गई है। बिहार मानवाधिकार आयोग के निबंधक और अवकाश प्राप्त न्यायाधीश शैलेन्द्र कुमार सिंह का कार्यकाल अब 11 जनवरी 2026 तक बढ़ा दिया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार के गृह विभाग की विशेष शाखा द्वारा आधिकारिक अधिसूचना जारी की गई है। सेवा विस्तार के इस निर्णय से न केवल आयोग को मजबूती मिलेगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में उनकी अनुभवपूर्ण भागीदारी से संवेदनशील मामलों में प्रभावी निर्णयों की आशा भी बढ़ी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, मानवाधिकार मामलों के प्रमुख अधिवक्ता एस.के. झा ने सेवा विस्तार पर अपनी गहरी संतुष्टि जताई। उन्होंने न्यायमूर्ति शैलेन्द्र कुमार सिंह को “न्याय के जीवंत देवता” की उपाधि दी। श्री झा के अनुसार, “शैलेन्द्र बाबू केवल एक न्यायाधीश नहीं, बल्कि साक्षात न्याय की प्रतिमूर्ति हैं। उनके निर्णयों और कार्यों में ईमानदारी, संवेदनशीलता और निष्पक्षता की अनूठी झलक मिलती है। ऐसे न्यायाधीश आज के दौर में दुर्लभ हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का यह निर्णय आने वाले समय में मानवाधिकार संरक्षण को नई दिशा देगा।
शैलेन्द्र कुमार सिंह पूर्व में मुजफ्फरपुर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश रह चुके हैं और यहीं से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद बिहार सरकार ने उन्हें राज्य मानवाधिकार आयोग में निबंधक पद पर नियुक्त किया था। उनके कार्यकाल में आयोग की साख और कार्यप्रणाली को व्यापक सराहना मिली।
सेवा विस्तार की खबर से मुजफ्फरपुर का अधिवक्ता समाज खासा उत्साहित है। वरीय अधिवक्ता रामशरण सिंह, वी.के. लाल, विजय कुमार शाही, नेहा कुमारी, कबीर राज और राजीव रंजन समेत अनेक कानूनविदों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। सभी ने एक स्वर में कहा कि सरकार का यह निर्णय न केवल उचित, बल्कि प्रेरणादायक है।
मुजफ्फरपुर जिला अधिवक्ता संघ के सदस्यों के बीच उत्सव जैसा माहौल है। कई अधिवक्ताओं ने यह भी कहा कि शैलेन्द्र बाबू जैसे अनुभवी और न्यायप्रिय अधिकारी की मौजूदगी से आयोग की गरिमा और मजबूत होगी।
सरकार के इस निर्णय ने यह संकेत भी दे दिया है कि प्रशासनिक फैसलों में अब योग्यता और अनुभव को प्राथमिकता दी जा रही है। इस प्रकार, यह सेवा विस्तार केवल एक पद की अवधि नहीं, बल्कि न्याय की उस परंपरा को आगे बढ़ाने का माध्यम है, जिसकी मिसाल खुद शैलेन्द्र कुमार सिंह हैं।