

वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU) एक बड़े सॉफ्टवेयर घोटाले की चपेट में आ गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
UTU सॉफ्टवेयर घोटाला
देहरादून: वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU) एक बड़े सॉफ्टवेयर घोटाले की चपेट में आ गया है, जिससे शिक्षा जगत में हलचल मच गई है। विश्वविद्यालय ने जिस कार्य को केंद्र सरकार के समर्थ पोर्टल के माध्यम से नि:शुल्क कराया जा सकता था, उसके लिए एक निजी कंपनी को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, आश्चर्य की बात यह है कि जिस ERP (एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) सॉफ्टवेयर के बदले भुगतान किया गया, वह तकनीकी रूप से बेहद कमजोर निकला और उसमें कई जरूरी मॉड्यूल्स और फीचर्स की भारी कमी पाई गई।
विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को यहां तक नहीं पता था कि छात्रों का डेटा कहां होस्ट किया गया है, जो साइबर सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर लापरवाही है। कई बार तकनीकी खामियों की शिकायतें सामने आने के बावजूद न तो कंपनी से जवाब-तलब किया गया और न ही भुगतान रोका गया। वित्त अधिकारी द्वारा की गई आपत्तियों को भी अनदेखा कर दिया गया, जिससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि इस पूरे प्रकरण में कुछ अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए तकनीकी शिक्षा विभाग ने उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन कर दिया है। इस पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्षता आईटीडीए की निदेशक एवं आईएएस अधिकारी नितिका खंडेलवाल करेंगी। समिति में राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी, आईटी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के वित्त अधिकारी, IIT रुड़की के एक प्रोफेसर और एक अन्य विशेषज्ञ अधिकारी को भी शामिल किया गया है। समिति को निर्देश दिया गया है कि वह 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपे।
जांच में अब तक सामने आया है कि निजी कंपनी को प्रति छात्र 567 रुपये की दर से प्रतिवर्ष लगभग दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा था। यह देनदारी कई वर्षों से चली आ रही थी। खास बात यह है कि पूरी प्रक्रिया में टेंडर प्रणाली और नियमानुसार चयन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिससे अनुबंध की वैधता भी संदेह के घेरे में आ गई है। शासन ने इस अनुबंध को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
इस घोटाले की परतें खुलने के बाद शासन ने सख्त रुख अपनाया है और संकेत दिए हैं कि इस मामले में दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। संभावना है कि जांच के दौरान और भी वित्तीय अनियमितताएं उजागर होंगी और कई जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े होंगे।
UTU घोटाले ने राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब सबकी निगाहें जांच समिति की आगामी रिपोर्ट पर टिकी हैं।