Uttarakhand News: धामों में मारपीट करने वालों पर होगा कड़ा एक्शन

बद्रीनाथ मंदिर के गेट पर फोटो खिंचवाने को लेकर हुई मारपीट का मामला बीकेटीसी पुहंच गया है।

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 3 July 2025, 6:28 PM IST
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Chamoli: उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर के गेट पर फोटो खींचने को लेकर श्रद्धालुओं के बीच हुई मारपीट का मामला बीकेटीसी में पहुंच गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में श्रद्धालुओं को एक-दूसरे पर लात-घूंसे चलाते हुए दिखाई दे रहे है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार बीकेटीसी के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने श्री बदरीनाथ मंदिर सिंह द्वार के आगे फोटो खिंचवाने को लेकर हुए विवाद के संबंध में सोशियल मीडिया पर वाइरल पोस्टों का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि अमर्यादित व्यवहार करने वाले शरारती तत्वों की पहचान कर उन पर कार्यवाई की जायेगी।

बीकेटीसी अध्यक्ष ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम एवं केदारनाथ धाम में मंदिर के 50 मीटर के दायरे में फोटोग्राफी तथा किसी तरह की वीडियोग्राफी एवं रील बनाना वर्जित है। इस संबंध में बीकेटीसी द्वारा सूचनापट लगाये गये है तथा मंदिर समिति एवं पुलिस प्रशासन द्वारा लाउडस्पीकर से भी सूचना प्रसारित की जाती है।

उन्होंने कहा कि श्री बदरीनाथ मंदिर सिंह द्वार के ठीक आगे सीढ़ियों पर खड़े होकर फोटो खिंचवाने के बजाय तीर्थयात्रियों से अपील है कि सिंह द्वार के आगे निर्धारित खुले परिसर में फोटो खिंचवायें।

उन्होंने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि धामों की गरिमा बनाये रखें। इस तरह का व्यवहार करने से आम जनमानस में गलत संदेश जाता है।

बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है और चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। बद्रीनाथ धाम को नर और नारायण का मिलन स्थान भी माना जाता है। 

यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 7वीं-9वीं सदी में होने के प्रमाण मिलते हैं। मन्दिर के नाम पर ही इसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी बद्रीनाथ ही कहा जाता है। यह गढ़वाल की पहाड़ियों में 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

यह मंदिर चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ भी शामिल हैं। इस मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट हर साल अप्रैल-मई में खुलते हैं और नवंबर में बंद हो जाते हैं

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