Site icon Hindi Dynamite News

गर्मियों में वन्यजीवों की प्यास बुझाने को, हरिद्वार के जंगलों में वन विभाग की खास पहल

गर्मियों में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए हरिद्वार के जंगलों में वन विभाग की खास पहल की जा रही है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गर्मियों में वन्यजीवों की प्यास बुझाने को,  हरिद्वार के जंगलों में वन विभाग की खास पहल

हरिद्वार: गर्मियों की तपिश जैसे-जैसे बढ़ रही है, उत्तराखंड के जंगलों में इसका असर भी स्पष्ट दिखने लगा है। ऐसी स्थिति में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए हरिद्वार के जंगलों में वन विभाग ने विशेष तैयारियां की हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों के तहत इस बार न सिर्फ जंगल की आग पर नियंत्रण पर ध्यान दिया जा रहा है, बल्कि जंगली जानवरों के लिए पानी की समुचित व्यवस्था को भी प्राथमिकता दी गई है।

बड़ी संख्या में वन्यजीवों का निवास 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  हरिद्वार के राजाजी टाइगर रिजर्व के श्यामपुर, रसिया बड़, लालडांग, पथरी और रानीपुर रेंज जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में वन्यजीवों का निवास है। पहले इन इलाकों में गर्मियों के दौरान जानवरों को मीलों तक पानी की तलाश में भटकना पड़ता था। लेकिन इस बार वन विभाग ने इन क्षेत्रों में जलाशयों का निर्माण किया है, पुराने तालाबों का पुनर्जीवन किया गया है और जगह-जगह ट्यूबवेल लगाए गए हैं, जिससे जानवरों को आसानी से पीने का पानी मिल सके।

योजनाएं सक्रिय रूप से लागू 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, विशेष रूप से हाथियों के लिए, जिन्हें प्रतिदिन बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, ट्यूबवेल के माध्यम से सतत जल आपूर्ति की जा रही है। साथ ही, प्राकृतिक जलस्रोतों को भी संरक्षित और पुनर्जीवित करने की योजनाएं सक्रिय रूप से लागू की जा रही हैं, ताकि पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन में बना रहे।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रयास न केवल वन्यजीवों के संरक्षण की दृष्टि से अहम है, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने में भी मददगार साबित होगा। गर्मियों में पानी की कमी के कारण अकसर जंगली जानवर आबादी वाले क्षेत्रों की ओर रुख करते थे, जिससे टकराव की स्थिति उत्पन्न होती थी। अब जंगलों में ही पानी उपलब्ध होने से ऐसे जोखिमों में कमी आएगी।

वन विभाग ने इस योजना की निगरानी के लिए कैमरा ट्रैप और रेंज कर्मियों की नियमित पेट्रोलिंग को भी मजबूत किया है। यह पहल हरिद्वार जैसे धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में जैव विविधता को सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

Exit mobile version