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Rudraprayag: चारधाम यात्रा में मानवता की मिसाल बने पुलिसकर्मी, बुजुर्ग को दिया सहारा

चारधाम यात्रा में पुलिसकर्मी तीर्थयात्रियों के लिए मसीहा बनकर पहुंच रहे हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Jay Chauhan
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Rudraprayag: चारधाम यात्रा में मानवता की मिसाल बने पुलिसकर्मी, बुजुर्ग को दिया सहारा

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा जारी है। देश के कोने-कोने से लोग बाबा केदार के दर्शनों के लिए आ रहे हैं। इस यात्रा में बूढ़े, जवान, बच्चे सभी प्रकार के लोग शामिल हैं। लेकिन कई बुजुर्ग यात्रा करने में असहाय हैं। ऐसे में रुद्रप्रयाग पुलिस असहाय बुजुर्ग की मदद के लिये आगे आ रही है। पुलिस अपने कर्तव्य निर्वहन के साथ मानवता की मिसाळ पेश कर रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मध्य प्रदेश से केदारनाथ यात्रा पर आये एक बुजुर्ग श्रद्धालु रामेश्वर दत्त जिनकी उम्र लगभग 90 वर्ष थी। केदारनाथ धाम के दर्शन करने के बाद जब वो वापस आ रहे थे तो उनको चलने में काफी परेशानी हो रही थी। वह बड़ी मुश्किल से एक कदम रख पा रहे थे।

इसी दौरान चौकी गौरीकुण्ड में तैनात आरक्षी विनोद तथा आरक्षी धीरेन्द्र की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने बुजुर्ग व्यक्ति से उनका हालचाल जाना। बुजुर्ग ने बताया कि वे केदारनाथ धाम के दर्शन कर वापस आ रहे हैं। उन्हें चलने में काफी परेशानी हो रही है। इसके अलावा उनके पैसे भी रास्ते में कहीं गिर गये हैं।

बुजुर्ग की समस्या और पीड़ा को देखते हुए दोनों जवानों ने मानवता का परिचय देकर बुजुर्ग को अपने कंधे का सहारा देकर उन्हें शटल सेवा तक ले आये। उन्होंने बुजुर्ग श्रद्धालु को वाहन का किराया तथा आवश्यकतानुसार कुछ पैसे देकर सहारा दिया। इस पर बुजुर्ग श्रद्धालु ने दोनों पुलिसकर्मियों को आशीर्वाद दिया।

बुजुर्ग तीर्थयात्री ने कहा कि वे बहुत वृद्ध और बीमार थे, लेकिन उनकी प्रबल इच्छा थी कि वे अपने जीवन में एक बार बद्रीनाथ जी के दर्शन अवश्य करें। ऐसे नेक पुलिसवालों को सलाम और इनके माता-पिता को भी सलाम जिन्होंने ऐसे पुत्रों को जन्म दिया।

चारधाम यात्रा, खासकर बुजुर्गों और स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए, अक्सर चुनौतीपूर्ण होती है। ऊँचाई, मौसम की अनिश्चितता, भीड़ और लंबी कतारें शारीरिक और मानसिक रूप से थकाने वाली हो सकती हैं।

ऐसे में पुलिस ने न केवल अपना कर्तव्य नहीं निभाया, बल्कि एक परिवार की गहरी आस्था और इच्छा को पूरा करने में उनकी निस्वार्थ भाव से मदद की।

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