पहाड़ के जंगल पूस-दिसंबर में धू-धू कर जल, वन विभाग ने बताई मामूली आग; लाखों की वन संपदा राख

रुद्रप्रयाग के जखोली विकास खंड के मयाली क्षेत्र में जंगल में कल रात आग लग गई। लाखों की वन संपदा राख हो गई। बारिश और बर्फ से भरे जंगल अब धधक रहे हैं। वन विभाग ने आग को मामूली बताकर नियंत्रण में बताया।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 31 December 2025, 12:28 PM IST

Rudraprayag: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकास खंड के मयाली क्षेत्र में कल देर रात जंगल में आग लग गई। पूस और दिसंबर के महीने में पहाड़ के जंगल इस समय पानी और बर्फ से लबालब भरे रहते हैं, लेकिन अचानक आग ने पूरे जंगल को अपनी चपेट में ले लिया। आसपास के लोग और वन प्रेमी जंगल के धधकते दृश्य देखकर स्तब्ध रह गए।

लाखों की वन संपदा हो रही खाक

जंगल में लगी आग ने तुरंत ही लाखों रुपये की वन संपदा को राख में बदल दिया। पुराने, बड़े और छोटे पेड़-पौधे आग की लपटों में धू-धू कर जल रहे थे। आग के कारण वन्यजीवन को भी भारी खतरा उत्पन्न हुआ। स्थानीय लोग और वन विभाग के कर्मचारी आग को बुझाने में जुट गए, लेकिन कुछ हिस्से पूरी तरह जलकर राख हो चुके थे।

आग कहां और कैसे लगी?

जब मयाली क्षेत्र के रेंजर से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह फॉरेस्ट की भूमि नहीं है, बल्कि आग कूड़ेदान से फैली थी। हालांकि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था कि आग जंगल तक पहुंच चुकी थी और भयंकर रूप धारण कर चुकी थी। वन विभाग ने कहा कि आग “थेड़ी सी लगी थी” और नियंत्रण में कर दी गई।

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जंगलों की स्थिति भयावह

पहाड़ों में बारिश और बर्फबारी से जंगल इस समय सफेद दिखाई देते थे, लेकिन आग लगने के बाद पूरा जंगल लाल और काले धुएँ से ढक गया। स्थानीय लोग तस्बीरें लेकर आग के भयंकर रूप को रिकॉर्ड कर रहे थे। जंगल का दृश्य बेहद भयावह और दुखद था।

नए साल पर आग: जिम्मेदार कौन?

जखोली रेंजर ने दावा किया कि आग कुछ शराबी लोगों द्वारा नए साल के अवसर पर लगाई गई थी। इससे साबित होता है कि जंगल सुरक्षा और पर्यावरणीय संरक्षण की अनदेखी लगातार जारी है। ऐसे आगजनी के मामले न केवल वन संपदा बल्कि स्थानीय जीवन और वन्यजीवन के लिए भी गंभीर खतरा हैं।

लाखों की वन संपदा राख

वन विभाग की प्रतिक्रिया

वन विभाग ने आग को मामूली बताते हुए कहा कि कर्मचारियों ने समय रहते आग को नियंत्रित कर लिया। हालांकि स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी इसे लेकर असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि आग का पैमाना और जंगल में फैली उसकी स्थिति “मामूली” नहीं थी।

पिछले वर्षों में बढ़ते आग के मामले

पहाड़ी क्षेत्रों में दिसंबर और जनवरी के महीने में आग लगने की घटनाएँ पहले भी हुई हैं। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि मौसम या प्राकृतिक कारणों के अलावा मानव क्रियाएँ भी जंगल के लिए खतरा बन रही हैं।

आग रोकने के उपाय

वन विभाग ने कहा है कि भविष्य में आग को रोकने के लिए विशेष रेंडरिंग और सुरक्षा उपाय किए जाएंगे। स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि वे जंगल के पास आग लगाने से बचें और किसी भी आग की स्थिति तुरंत रेंज ऑफिस को सूचित करें।

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वन्यजीवन पर असर

आग से न केवल पेड़-पौधे, बल्कि जंगल में रहने वाले पक्षी और जानवर भी प्रभावित हुए। कई पशु सुरक्षित स्थानों की ओर भागे और कुछ क्षेत्रों में उनकी जान को खतरा पैदा हुआ।

चेतावनी और सजगता की जरूरत

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि पहाड़ी जंगलों में आग नियंत्रण और सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को मिलकर न केवल आग बुझाने बल्कि आग लगने की संभावनाओं को कम करने के लिए सक्रिय रणनीति अपनानी होगी।

Location : 
  • Rudraprayag

Published : 
  • 31 December 2025, 12:28 PM IST