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जनपद रुद्रप्रयाग के अंतर्गत प्रसिद्ध मध्यमहेश्वर पैदल ट्रेक मार्ग पर ट्रेकिंग के लिए गए 8 सदस्यों के दल में से एक ट्रेकर लापता हो गया। सूचना पर SDRF, DDRF एवं पुलिस टीमों की टीम ने रेस्क्यू अभियान प्रारंभ कर दिया। ट्रेकर 10 नवम्बर की रात्रि लगभग 10:15 बजे की रात्रि को गायब हुआ था।
मध्यमहेश्वर ट्रेक पर यात्री लापता
रुद्रप्रयाग: जनपद रुद्रप्रयाग के अंतर्गत प्रसिद्ध मध्यमहेश्वर पैदल ट्रेक मार्ग पर ट्रेकिंग के लिए गए 8 सदस्यों के दल में से एक ट्रेकर लापता हो गया। सूचना पर एसडीआरएफ, डीडीआरएफ एवं पुलिस टीमों की टीम ने रेस्क्यू अभियान प्रारंभ कर दिया।
जानकारी के अनुसार, यह घटना 10 नवम्बर की रात्रि लगभग 10:15 बजे की है। पुलिस कंट्रोल रूम, रुद्रप्रयाग को दूरभाष के माध्यम से सूचना प्राप्त हुई। पुलिस को सूचना मिली कि मध्यमहेश्वर पैदल ट्रेक पर गए 08 सदस्यों के दल में से एक सदस्य वासू फरासी (22) निवासी डाडा खुदानेवाला, सहस्त्रधारा रोड, देहरादून, अपने साथियों से बिछड़ गया है और उसका कोई पता नहीं चल पा रहा है।
सूचना प्राप्त होते ही आपदा परिचालन केन्द्र, रुद्रप्रयाग द्वारा तुरंत संबंधित राजस्व उपनिरीक्षक रांसी, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ एवं पुलिस टीमों को सूचित कर रेस्क्यू अभियान प्रारंभ कर दिया गया। वर्तमान में भी पुलिस, एसडीआरएफ एवं डीडीआरएफ की संयुक्त टीमें स्थल पर पहुंचकर लगातार सघन तलाशी अभियान चला रही हैं। टीमों द्वारा 02 ड्रोन की सहायता से भी लापता ट्रेकर की खोज की जा रही है।
जिला प्रशासन द्वारा घटना की सतत निगरानी की जा रही है तथा संबंधित अधिकारियों को यथाशीघ्र लापता ट्रेकर को खोजने के निर्देश दिए गए हैं। जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग ने रेस्क्यू अभियान में लगे सभी दलों को समन्वय बनाए रखने एवं तलाशी कार्य को युद्धस्तर पर जारी रखने के निर्देश दिए हैं।
मध्यमहेश्वर ट्रेक उत्तराखंड में एक मध्यम स्तर का ट्रेक है जिसे मध्यमहेश्वर ट्रेक या बूढ़ा मदमहेश्वर ट्रेक भी कहा जाता है जो रांसी गांव से शुरू होता है और इसमें लगभग 32 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। यह ट्रेक पंच केदार में से एक, मध्यमहेश्वर मंदिर तक जाता है और इसमें घने जंगल, घास के मैदान, खड़ी चढ़ाई और चौखंबा चोटियों के मनोरम दृश्य शामिल हैं। इस ट्रेक को पूरा करने में आमतौर पर 4-6 दिन लगते हैं और इसके लिए शारीरिक फिटनेस और किसी अनुभवी गाइड का मार्गदर्शन आवश्यक है।
मदमहेश्वर ट्रेक उत्तरी हिमालय में केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य में स्थित है। यह अभयारण्य हिमालयी कस्तूरी मृग के लिए प्रसिद्ध है और इस लुप्तप्राय प्रजाति का संरक्षण करता है। यह भारत का सबसे बड़ा जैव विविधता वाला क्षेत्र भी है जहां वनस्पतियों और जीवों की सबसे अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।