Ramnagar: भवानीगंज क्षेत्र में स्थित आदर्श रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला मंचन का शुभारंभ सोमवार की रात को पारंपरिक पूजा-अर्चना के साथ हुआ। रंगमंच पर पूजा संपन्न होने के बाद उपजिलाधिकारी (SDM) प्रमोद कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर रामलीला मंचन का विधिवत शुभारंभ किया।
रामलीला से केवल मनोरंजन नहीं, जीवन मूल्यों की प्रेरणा लें- SDM
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए एसडीएम प्रमोद कुमार ने समिति के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि रामलीला केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी परंपरा है जो समाज को धार्मिक, नैतिक और सामाजिक मूल्यों की शिक्षा देती है।
उन्होंने दर्शकों से अपील की कि वे रामलीला को केवल मनोरंजन के रूप में न देखें, बल्कि भगवान श्रीराम के जीवन के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करें। उन्होंने कलाकारों के अभिनय की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मेहनत से आने वाली पीढ़ियां अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी रहेंगी।
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➡️रामनगर की ऐतिहासिक रामलीला शुरू!
➡️रंगमंच पर कलाकारों ने दिखाई श्रीराम की जीवन गाथा, लोगों में दिखा उत्साह।
➡️SDM ने किया उद्घाटन और दी संस्कृति बचाने की प्रेरणा।
➡️15 सितंबर तक चलेगा आयोजन।#Ramleela2025 #CulturalFestival #RamnagarLive pic.twitter.com/mbUlY4zOEC
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 2, 2025
कब तक चलेगा कार्यक्रम ?
रामलीला समिति के सहायक महाप्रबंधक कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि यह रामलीला वर्ष 2025 में अपनी 52वीं वर्षगांठ मना रही है। मंचन का समापन 15 सितंबर को किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंचन में भाग लेने वाले सभी कलाकार पूर्णतः नि:शुल्क अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह सेवा भावना केवल अभिनय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपने संस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने का एक समर्पण है। उन्होंने कहा कि कलाकारों की यह निस्वार्थ भावना दर्शाती है कि आज भी समाज में ऐसे लोग हैं जो अपनी परंपराओं के लिए जीते हैं।
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उत्तराखंड-यूपी के कलाकार निभा रहे हैं प्रमुख भूमिकाएं
रामलीला में अभिनय करने वाले कलाकार उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों से भी आते हैं। इन कलाकारों ने देश के अन्य भागों में भी रामलीला मंचन कर अपने अभिनय और कला का लोहा मनवाया है। इस वर्ष रामलीला में राम, लक्ष्मण, सीता, रावण, हनुमान जैसे प्रमुख पात्रों की भूमिकाओं को निभा रहे कलाकारों ने पहली रात ही मंचन को जीवंत और भावनात्मक बना दिया। विशेष रूप से श्रीराम के बाल्यकाल और जनकपुरी में धनुष यज्ञ के दृश्य दर्शकों के लिए अत्यंत प्रभावशाली रहे।

