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उत्तराखंड स्थापना दिवस (9 नवंबर) पर पूरे राज्य में स्थायी राजधानी को लेकर जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। UKD कार्यकर्ताओं ने रैलियां, जनसभाएं और प्रदर्शन कर सरकार से गैरसैंण को राजधानी घोषित करने की मांग की। कर्णप्रयाग में बड़ी जनसभा आयोजित हुई।
उत्तराखंड स्थापना दिवस पर स्थायी राजधानी की मांग तेज़ (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
Chamoli: उत्तराखंड राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर पूरे राज्य में रजत जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन 25 साल के युवा उत्तराखंड को अब तक स्थायी राजधानी नहीं मिल सकी। भराड़ीसैंण, गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी विनोद रतूड़ी के नेतृत्व में आंदोलन दिनों-दिन तेज होता जा रहा है। राज्य स्थापना दिवस के मौके पर विनोद रतूड़ी के नेतृत्व में कर्णप्रयान में धरना-प्रदर्शन देखने को मिला, जिसमें स्थायी राजधानी के मुद्दे पर लोगों का जबरदस्त आक्रोश झलका।
स्थायी राजधानी गैरसैंण मंच के संयोजक विनोद रतूड़ी के नेतृत्व में कर्णप्रयाग में क्षेत्र के कई लोगों ने धरना प्रदर्शन किया और शासन को भराड़ीसैंण स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया।
विनोद रतूड़ी ने इस आंदोलन को पूरी तरह गैरराजनीति आंदोलन बनाने की घोषणा की है। लेकिन खास बात यह कि कर्णप्रयाग में आयोजित इस धरना-प्रदर्शन का उत्तराखंड क्रांति दल और अन्य स्थानीय संगठनों ने अपना पूरी समर्थन दिया।
उत्तराखंड स्थापना दिवस पर गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग तेज़! यूकेडी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे, रैली और जनसभा में गूंजा- जब तक पहाड़ की राजधानी पहाड़ में नहीं, तब तक संघर्ष जारी रहेगा! #Uttarakhand #GairsainCapital #UKDProtest pic.twitter.com/AoTlW1R2Ns
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) November 10, 2025
आंदोलन और धरना प्रदर्शन के बीच विनोद रतूड़ी ने डाइनामाइट न्यूज के साथ खास बीतचीत की। उन्होंने कहा कि पहाड़ों का विकास तभी संभव है, जब पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण यानि पहाड़ में बने। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि उनका यह आंदोलन स्थायी राजधानी की विधिवत घोषणा के बाद की खत्म होगा।
विशाल जनसभा (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
रतूड़ी ने आगे कहा कि उत्तराखंड आंदोलन का असली मकसद पहाड़ के लोगों के हितों की रक्षा करना था, लेकिन पिछले 25 वर्षों में राजनीतिक दलों ने केवल अस्थायी फैसले लिए हैं। उन्होंने सरकार से तत्काल गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग की।
दूसरी तरफ यूकेडी के वरिष्ठ नेता नवीन प्रसाद खंडूड़ी ने कहा कि राज्य की आत्मा और असली पहचान तभी सुरक्षित रह सकती है जब राजधानी गैरसैंण में बने। देहरादून से पहाड़ का दर्द नहीं समझा जा सकता। गैरसैंण सिर्फ राजधानी नहीं, यह उत्तराखंड की अस्मिता का प्रतीक है। खंडूड़ी ने आगे यह भी कहा कि यूकेडी तब तक आंदोलन जारी रखेगी जब तक सरकार गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित नहीं करती।
कर्णप्रयाग में आयोजित धरना-प्रदर्शन क अलावा 9 नवंबर को पूरे राज्य में यूकेडी कार्यकर्ताओं ने रैलियां, विरोध जुलूस और जनसभाएं कीं। रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और अल्मोड़ा समेत कई जिलों में कार्यकर्ताओं ने पोस्टर और बैनर लेकर नारे लगाए। जैसे- “जब तक पहाड़ की राजधानी पहाड़ में नहीं, तब तक उत्तराखंड का विकास नहीं।”
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रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में कार्यकर्ताओं ने हनुमान चौक तक पदयात्रा की। इस दौरान राज्य सरकार के खिलाफ नारे लगाए गए और गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की चेतावनी दी गई। यूकेडी नेताओं का कहना था कि पहाड़ के हितों की अनदेखी अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उत्तराखंड को अलग राज्य बने 25 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन राजधानी का स्थायी निर्णय आज भी अधर में है। कभी देहरादून को अस्थायी राजधानी घोषित किया जाता है, तो कभी गैरसैंण में विधानसभा सत्र बुलाकर राजनीतिक संदेश दिए जाते हैं।