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नैनीताल में करोड़ों की डिजिटल ठगी का पर्दाफाश, एसटीएफ ने दिल्ली से दो आरोपियों को दबोचा

रूहेलखंड विश्वविद्यालय की एक सेवानिवृत्त कुलपति को डिजिटल अरेस्ट कर 1.47 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में एसटीएफ की साइबर क्राइम टीम ने दो आरोपियों को शुक्रवार को दिल्ली के करोलबाग से गिरफ्तार किया।
Post Published By: Jay Chauhan
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नैनीताल में करोड़ों की डिजिटल ठगी का पर्दाफाश, एसटीएफ ने दिल्ली से दो आरोपियों को दबोचा

Nainital: जनपद में डिजिटल अरेस्ट ठगी मामले में पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। कुमाऊं एसटीएफ ने करीब 1.47 करोड़ की धोखाधड़ी में शामिल दो और आरोपियों को दिल्ली से दबोच लिया। टीम ने करोलबाग इलाके से दोनों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 9 मोबाइल फोन, 14 सिम कार्ड,  3 चेक बुक,  4 डेबिट कार्ड और एक पासपोर्ट बरामद किया।  इससे पहले पुलिस ने हिमाचल से भी एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।

ठगों ने ऐसे बनाया शिकार

जानकारी के अनुसार यह मामला नैनीताल निवासी और रुहेलखंड विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रोफेसर बीना साह से जुड़ा है। बीते माह साइबर ठगों ने उन्हें जाल में फंसाकर  उनसे करीब 1.47 करोड़ रुपये हड़प लिए थे। ठगों ने खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम का अधिकारी बताकर कहा था कि उनके खाते में 600 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है। डर और दबाव बनाकर ठगों ने अलग अलग खातों में रकम डलवाई और फिर उसे अन्य जगहों पर ट्रांसफर कर दिया।

करोलबाग से ऐसे दबोचे आरोपी

जांच में सामने आया कि पीड़िता से 33 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक के एक खाते में जमा कराए गए थे। यह खाता गोवा का था और उससे जुड़े मोबाइल नंबर की लोकेशन दिल्ली में मिली थी। सुराग पकड़ते हुए एसटीएफ ने करोलबाग के कृष्णा स्टे पीजी गेस्ट हाउस में दबिश दी और मोहम्मद सैफ निवासी लखनऊ और शकील अंसारी निवासी झारखंड को गिरफ्तार किया। तलाशी में उनके पास से कई मोबाइल सिम कार्ड, चेक बुक, डेबिट कार्ड, पासपोर्ट और एक मुहर बरामद हुई।

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पुलिस जांच में यह भी साफ हुआ है कि आरोपितों के बैंक खातों का इस्तेमाल अन्य राज्यों में भी डिजिटल अरेस्ट ठगी के लिए किया गया था। इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तराखंड की शिकायतें शामिल हैं। इस संबंध में संबंधित राज्यों को भी सूचना भेजी जा रही है।

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पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे पीड़िता को लगातार व्हाट्सएप कॉल पर बने रहने के लिए कहते थे और किसी अन्य व्यक्ति से संपर्क करने से मना करते थे। वे अलग-अलग बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे ताकि पुलिस से बच सकें।

पीड़िता से मिली धनराशि को तुरंत ही अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया गया था। जिस आईसीआईसीआई बैंक खाते का इस्तेमाल आरोपियों ने किया, उसके जरिये उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में करीब सात लोगों को डिजिटल अरेस्ट बताकर ठगने में किया गया।

गिरफ्तारी करने वाली टीम में साइबर थाना रुद्रपुर के निरीक्षक अरुण कुमार, एएसआई सत्येंद्र गंगोला, हेड कांस्टेबल सोनू पांडे, मनोज बवाड़ी और कांस्टेबल रवि बोरा शामिल रहे।

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