हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद के ग्रामीण इलाकों में विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा कोड़े ने शुक्रवार को विकासखंड नारसन के सकौती गांव का दौरा किया। यहां उन्होंने ग्रामोत्थान परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित वे साइड अमिनिटीज़ के लिए भूमि का भौतिक निरीक्षण किया।
क्या है पूरा मामला
इस निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य परियोजना के लिए उपयुक्त स्थान का चयन करना और इसके कार्यान्वयन की प्रगति को गति देना था। अधिकारियों के अनुसार यह परियोजना ग्रामीण विकास और आजीविका संवर्धन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके तहत सड़क किनारे स्थायी आउटलेट बनाए जाएंगे, जहां महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) अपने हस्तनिर्मित उत्पाद, हस्तशिल्प और अन्य घरेलू सामान की बिक्री कर सकेंगी।
महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका
सीडीओ आकांक्षा कोड़े ने निरीक्षण के दौरान कहा कि इस पहल से महिलाओं को अपने उत्पाद सीधे बाजार तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकेंगी। उन्होंने कहा कि यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएगी।
एनआरएलएम के पदाधिकारी और ग्राम प्रधान
भूमि निरीक्षण के उपरांत सीडीओ ने परियोजना से जुड़े सभी प्रमुख अधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत बैठक की। इस बैठक में परियोजना निदेशक डीआरडीए कैलाश नाथ तिवारी, तहसीलदार रुड़की विकास अवस्थी, जिला परियोजना प्रबंधक संजय सक्सेना, खंड विकास अधिकारी नारसन सुभाष सैनी, आर्किटेक्ट संजय पाल, ब्लॉक प्रतिनिधि, एनआरएलएम के पदाधिकारी और ग्राम प्रधान मौजूद रहे।
बैठक में परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। अधिकारियों ने समयबद्ध और कुशलता पूर्वक कार्य को पूरा करने का आश्वासन दिया। सीडीओ ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि ग्रामोत्थान परियोजना के तहत बनने वाली संरचनाएं न केवल आधुनिक और उपयोगी हों, बल्कि स्थानीय सांस्कृतिक पहचान को भी प्रतिबिंबित करें।
सीडीओ आकांक्षा कोड़े ने कहा, “ग्रामोत्थान परियोजना ग्रामीणों के लिए विकास और आत्मनिर्भरता के नए द्वार खोलेगी। यह प्रयास न केवल आजीविका संवर्धन का माध्यम बनेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी आर्थिक आधार तैयार करेगा।” इस परियोजना से ग्रामीण अंचल की महिलाएं मुख्यधारा से जुड़ेंगी और उनके उत्पाद स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना सकेंगे।