

एक महिला गाजियाबाद में स्थित जिला अस्पताल पहुंची और वहां पर अपना इलाज करवाया। महिला इलाज करवाकर चली गई तो पीछे से हड़कंप मच गया। मामले की जानकारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी को मिल गई। इसके बाद गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी मौके पर पहुंची और महिला से जुड़ी जानकारी मांगने लगी। अब बताया जा रहा है कि यह महिला कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गैंग की लेडी डॉन है।
लॉरेंस बिश्नोई (सोर्स: इंटरनेट)
Ghaziabad News: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम ने गाजियाबाद के जिला अस्पताल में छानबीन की और महिला के इलाज से जुड़ी जानकारी ली। यह महिला 18 जून को इलाज के लिए इमरजेंसी में अस्पताल पहुंची थी। जांच में सामने आया है कि महिला का कथित रूप से लॉरेंस बिश्नोई गैंग से संबंध है। इस मामले की जांच अब गहरे स्तर पर की जा रही है, जिससे अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं।
महिला का नाम गुल्फ़सा बताया जा रहा है। जिसने 18 जून को जिला अस्पताल में इलाज के लिए प्रवेश लिया था। NIA ने जांच के दौरान इस महिला से संबंधित सभी चिकित्सा जानकारी प्राप्त की और अस्पताल प्रशासन से इलाज से जुड़ी डिटेल्स मांगी। इस दौरान जिला अस्पताल के सीएमओ (Chief Medical Officer) को निर्देशित किया गया कि वह इस मामले की पूरी रिपोर्ट दें और इसके संबंध में उचित कदम उठाएं।
लॉरेंस बिश्नोई गैंग से संबंध
सूत्रों का कहना है कि महिला का संबंध लॉरेंस बिश्नोई गैंग से है, जो देशभर में कई गंभीर अपराधों में लिप्त है। एनआईए टीम का मानना है कि महिला का गैंग से जुड़ाव महत्वपूर्ण हो सकता है और यह जांच के दायरे में आने वाली एक बड़ी कड़ी हो सकती है। महिला के गैंग से संबंध की पुष्टि के लिए जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।
सीएमओ द्वारा जांच कमेटी का गठन
सीएमओ ने NIA की जांच के मद्देनजर अपनी ओर से एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है, जो इस मामले की छानबीन करेगी और संबंधित महिला के इलाज से जुड़ी सभी जानकारी की विस्तृत समीक्षा करेगी। यह कमेटी यह पता लगाएगी कि महिला के अस्पताल में आने की वजह क्या थी और क्या वह किसी अपराधी गिरोह के सदस्य होने के नाते अस्पताल में आई थी या फिर उसकी किसी और वजह से अस्पताल में भर्ती हुई थी।
NIA अब आगे क्या करेगी?
NIA की जांच इस दिशा में भी आगे बढ़ेगी कि क्या महिला का कोई आपराधिक रिकार्ड है और क्या उसकी अस्पताल में आने की वजह संदेहास्पद थी। इस तरह की जांचें यह सुनिश्चित करने के लिए की जाती हैं कि क्या इस तरह के आपराधिक गिरोहों से जुड़ी गतिविधियां स्वास्थ्य संस्थानों में भी मौजूद हैं और अगर हां तो इसके पीछे की पूरी कड़ी का पता लगाया जा सके। अस्पताल प्रशासन की तरफ से अधिकारियों ने इस मामले पर गोपनीयता बनाए रखने की कोशिश की है, लेकिन NIA के दबाव के कारण यह मामला अब सार्वजनिक हो गया है।