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UP: बसपा में पुराने चेहरों की वापसी से नई रणनीति का इशारा, जयप्रकाश सिंह को मिली दो राज्यों की कमान

बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने पुराने सहयोगी जयप्रकाश सिंह को दोबारा पार्टी में शामिल करते हुए पश्चिम बंगाल और ओडिशा की जिम्मेदारी सौंपी है। यह फैसला बसपा में चल रहे पुनर्गठन और पुराने नेताओं की घर वापसी की प्रक्रिया का हिस्सा है।
Post Published By: सौम्या सिंह
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UP: बसपा में पुराने चेहरों की वापसी से नई रणनीति का इशारा, जयप्रकाश सिंह को मिली दो राज्यों की कमान

Lucknow: बहुजन समाज पार्टी (BSP) से जुड़ी एक बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपने पुराने सहयोगी और बसपा के पूर्व नेशनल को-ऑर्डिनेटर जयप्रकाश सिंह की पार्टी में दोबारा वापसी करा दी है। यह फैसला मायावती ने दिल्ली में जयप्रकाश सिंह से मुलाकात के बाद लिया। वापसी के साथ ही उन्हें पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

यह फैसला बसपा के भीतर चल रही हालिया पुनर्गठन और पुराने नेताओं की घर वापसी की कड़ी में एक और अहम कदम माना जा रहा है।

मायावती का बदला मूड, पुराने साथियों की घर वापसी का सिलसिला

बसपा सुप्रीमो ने हाल के महीनों में पार्टी से निष्कासित या दूर हो चुके कई नेताओं को फिर से पार्टी में शामिल कर अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव दिखाया है। पहले भतीजे आकाश आनंद की वापसी, फिर समधी अशोक सिद्धार्थ को दोबारा मौका देना और अब जयप्रकाश सिंह की वापसी इस बात का संकेत है कि मायावती आने वाले चुनावों से पहले संगठन को पुराने अनुभवी चेहरों से मजबूत करना चाहती हैं।

जानकारों के मुताबिक, बसपा के भीतर लगातार घटते जनाधार और संगठनात्मक कमजोरी को देखते हुए मायावती अब उन नेताओं को वापस ला रही हैं जिनका प्रदेश और बाहर राज्यों में मजबूत जनसंपर्क रहा है।

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जयप्रकाश सिंह की वापसी क्यों अहम है?

जयप्रकाश सिंह बसपा संगठन के सबसे सक्रिय नेताओं में माने जाते रहे हैं। उन्होंने मायावती के साथ कई रणनीतिक अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पार्टी से बाहर जाने के बाद भी वे दलित राजनीति में सक्रिय रहे। अब उन्हें पश्चिम बंगाल और ओडिशा की जिम्मेदारी देकर मायावती ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि बसपा अब दोबारा राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। बसपा सूत्रों के मुताबिक, जयप्रकाश सिंह को संगठन को जमीनी स्तर पर खड़ा करने और दोनों राज्यों में पार्टी की उपस्थिति बढ़ाने का काम सौंपा गया है।

बसपा के पूर्व नेशनल को-आर्डिनेटर जयप्रकाश सिंह

परिवारवाद और गुटबाजी से जूझती बसपा

बीते कुछ वर्षों में बसपा को परिवारवाद और गुटबाजी की वजह से कई झटके झेलने पड़े हैं। अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से हटाया गया था क्योंकि उन पर गुटबाजी के आरोप लगे थे। वहीं, मायावती के भाई आनंद कुमार और उनके बेटे आकाश आनंद को लेकर भी पार्टी में असमंजस की स्थिति कई बार बनी।

मायावती ने पहले कहा था कि ‘आनंद ने मुझसे वादा किया है कि वह पार्टी हित में अपने बच्चों का रिश्ता गैर-राजनीतिक परिवार से जोड़ेंगे।’ लेकिन अब, हाल के फैसले यह बताते हैं कि मायावती ने अपने रुख में बदलाव किया है और परिवारवाद की सीमाओं को संतुलित करते हुए पार्टी को फिर से संगठित करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

वापसी की लहर: बसपा में पुराने चेहरों की वापसी

जयप्रकाश सिंह की वापसी से पहले, मायावती ने कई वरिष्ठ नेताओं को फिर से पार्टी में शामिल किया है-

इन फैसलों से साफ है कि बसपा अब अपने पुराने नेटवर्क और जमीनी ताकत को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में काम कर रही है।

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रणनीतिक संकेत: पूर्वी भारत पर फोकस

बसपा का अब पूर्वी भारत- यानी पश्चिम बंगाल और ओडिशा- पर ध्यान देना मायावती की नई राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। इन राज्यों में पार्टी का जनाधार सीमित है, लेकिन जयप्रकाश सिंह जैसे अनुभवी नेता के आने से संगठन में नई ऊर्जा की उम्मीद जताई जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जयप्रकाश सिंह की वापसी “सॉफ्ट दलित नेशनलिज्म” की रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए बसपा देश के कई हिस्सों में अपने खोए हुए वोट बैंक को फिर से सक्रिय करना चाहती है।

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