

फतेहपुर के असोथर कस्बे में एक विधवा और उसके बेटे पर पड़ोसियों ने पुरानी रंजिश के चलते हमला कर दिया। स्थानीय पुलिस की चुप्पी से परेशान पीड़िता ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज कराई है। अब पीड़ित परिवार प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार कर रहा है।
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Fatehpur: नगर पंचायत के वार्ड नंबर एक में एक गरीब विधवा और उसके बेटे पर उस समय कहर टूट पड़ा, जब एक मामूली विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। पुरानी रंजिश की आग को हवा देते हुए पड़ोसियों ने मां-बेटे को लाठी-डंडों से बुरी तरह पीट डाला, जिससे वे घायल हो गए। पीड़िता ने दो दिनों तक स्थानीय पुलिस से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो आखिरकार मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज करानी पड़ी।
क्या है पूरा मामला
विधवा ऊषा देवी ने बताया कि उनका 22 वर्षीय बेटा संजय कुमार 20 अगस्त की शाम करीब आठ बजे अपने घर के दरवाजे के पास खड़ा था। तभी एक आवारा कुत्ता उसकी ओर बढ़ा, जिसे उसने पत्थर मारकर भगाया। इसी बात पर पास के चबूतरे पर बैठे विवेक कुमार गुप्ता (पुत्र सुरेश गुप्ता) ने बहस शुरू कर दी। ऊषा देवी के अनुसार विवेक ने पहले से चली आ रही रंजिश के तहत पहले संजय को गालियां दीं और फिर मामला बढ़ता चला गया।
जान से मारने की धमकी भी दी
हंगामा सुनकर ऊषा देवी बाहर आई और विरोध किया तो विवेक अपने भाई अभिषेक, पिता सुरेश, चाचा दिनेश और परिवार की महिलाओं सहित कई अन्य लोगों को बुलाकर मां-बेटे पर टूट पड़ा। लाठी-डंडों से हुए इस हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। आरोप है कि हमलावरों ने न केवल मारपीट की, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी।
अभी तक कोई ठोस एक्शन नहीं
हमले के बाद ऊषा देवी ने स्थानीय थाने में जाकर तहरीर दी और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। लेकिन दो दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस ने ना कोई रिपोर्ट दर्ज की और ना ही एनसीआर लिखी। पीड़िता का कहना है कि थाने में केवल आश्वासन मिला, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज कराई
हताश होकर ऊषा देवी ने 22 अगस्त को मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज कराई। हेल्पलाइन से उन्हें आश्वासन मिला कि चार घंटे के भीतर पुलिस कार्रवाई करेगी। अब सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस और प्रशासन इस मामले में पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए गंभीरता दिखाएंगे या मामला यूं ही दबा दिया जाएगा?
कब मिलेगा इंसाफ
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पीड़ित परिवार को जल्द न्याय न मिला तो वे सामूहिक रूप से थाने का घेराव करेंगे। घटना ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि गरीब और असहाय परिवारों को न्याय पाने के लिए कैसे दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं।