इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रायबरेली में अवैध बुलडोजर कार्रवाही पर यूपी सरकार को फटकार लगाई है साथ ही पीड़ित को 20 लाख का मुआवजा देने का भी एलान किया हैं।

रायबरेली सदर तहसील
Reaebareli: रायबरेली में जमीन का मालिक आना हक छीनने और अवैध तरीके से निर्माण ढहाने के लिये बुलडोजर एक्शन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने एक मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और कोर्ट ने न केवल पीड़ित को न्याय दिया बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी पर 20 लाख रुपए का भारी भरकर जुर्माना भी लगाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मामला रायबरेली सदर तहसील से जुड़ा हुआ है। 27 दिसम्बर को आये एक फैसले में रायबरेली जिले के देवानंद पुर गांव में याचिकाकर्ता सावित्री सोनकर का नाम सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में जमीन के मालिक के तौर पर दर्ज था।
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इसके बावजूद संबंधित एसडीएम प्रफुल्ल कुमार शर्मा ने 10 फरवरी को राजस्व संहिता की धारा 38 का इस्तेमाल कर बिना किसी सुनवाई के सावित्री का नाम हटा दिया और जमीन को ग्राम सभा का घोषित कर दिया।
उन्होंने 24 मार्च को वहां बना निर्माण बुलडोजर से ढहा दिया और बाद में यह जमीन जीएसटी विभाग को सौंप दी गई। आपको बता देें कि जस्टिस आलोक माथुर की सिंगल बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए प्रशासन की कार्यशाली को अवैध करार दिया है। अदालत के अपने आदेश में कहा कि विवादित जमीन का कब्जा तुरंत सावित्री सोनकर को लौटाया जाए । इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वह 2 महीने के भीतर मुआवजे की राशि याचिका करता को दे। साथ ही कोर्ट ने राजस्व अधिकारियों की भूमिका पर संदेश जताते हुए अपर मुख्य सचिव स्तर से अधिकारी से इसकी जांच करने का आदेश दिया है।
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कोर्ट ने अपने फैसले को स्पष्ट कहा है कि रिकॉर्ड में बदलाव करने से पहले याचिका कर्ता को कोई नोटिस नहीं दिया गया और ना ही उसका पक्ष सुना गया। यह पूरी कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध और सत्ता का दुरुपयोग है। इस आदेश के बाद रायबरेली तहसील परिसर की कार्यप्रणाली की किरकिरी हो रही है।