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India-Nepal Border: कपड़ा तस्करों की शातिराना चाल जानकर आप भी होंगे हैरान, प्रशासन की कार्रवाई पड़ रही ढीली

भारत-नेपाल सीमा पर आए दिन कपड़ों की तस्करी बढ़ती जा रही है इस पर प्रशासन भी कुछ नही कर पा रही है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: अरुण गौतम
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India-Nepal Border: कपड़ा तस्करों की शातिराना चाल जानकर आप भी होंगे हैरान, प्रशासन की कार्रवाई पड़ रही ढीली

महराजगंज: भारत-नेपाल सीमा लंबे समय से तस्करी के लिए मुफीद साबित होती रही है। सीमा से तस्करी के खबरें आये दिन सामने आती रहती है। तस्कर जिस तरह के अपनी करतूतों के अंजाम दे रहे हैं, उससे पुलिस प्रशासन भी हैरान है।

देश में इन दिनों गर्मी और शादी-विवाह के सीजन में कपड़ों की मांग में आई तेज़ी ने तस्करों को फिर से सक्रिय कर दिया है। सीमाई क्षेत्रों में कपड़ा तस्करी बड़े पैमाने पर चल रही है, जबकि प्रशासनिक सख्ती के बावजूद तस्करों की शातिराना चाल के आगे कार्रवाई ढीली पड़ती दिख रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार तस्कर भारतीय बाजारों से सस्ते दरों पर कपड़े खरीदकर नेपाल भेज रहे हैं। सोनौली, नौतनवा, खुनुवा, भगवानपुर, ठूठीबारी और झुलनीपुर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों से रात के अंधेरे में कपड़ों के गठ्ठर नेपाल भेजे जा रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि तस्कर पहले सीमाई गांवों में माल छिपाते हैं और फिर सुनसान वक्त में उसे नेपाल पार करा देते हैं। पुलिस, कस्टम व एसएसबी की कार्रवाई के बावजूद तस्करी पर लगाम नहीं लग पा रही है।

खास बात यह है कि सूरत, लुधियाना और पंजाब जैसे कपड़ा हब से आने वाले कपड़े पहले नौतनवा, सिसवा और सोनौली जैसे कस्बों में स्थित अवैध गोदामों में पहुंचाए जाते हैं। इसके बाद पगडंडी और कच्चे रास्तों के सहारे उन्हें नेपाल भेजा जाता है। भारत सरकार द्वारा कपड़ा निर्यात पर दी जाने वाली टैक्स छूट का लाभ भी इन तस्करों द्वारा उठाया जा रहा है। जीएसटी बिल की आड़ में कम कीमत दिखाकर लाखों के माल को कच्चे बिलों के जरिए नेपाल पहुंचाया जाता है।

नेपाल पहुंचते ही इन कपड़ों की कीमत कई गुना बढ़ जाती है। सूत्रों के अनुसार, एक 500 रुपये का कपड़ा सीमा पार होते ही 1500 से 5000 रुपये में बिकता है। इससे तस्करों को मोटा मुनाफा होता है। नेपाल के वैध कारोबारी इस तस्करी से परेशान हैं और स्थानीय व्यापार चौपट होने की बात कह रहे हैं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जरूरत है कि सीमा सुरक्षा, कस्टम जांच और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए। साथ ही अवैध गोदामों पर निगरानी और कच्चे बिल के नाम पर हो रही धांधली पर सख्ती से अंकुश लगाया जाए, ताकि यह काला कारोबार रोका जा सके।

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