गोरखपुर के बुढ़िया माई मंदिर की 600 साल पुरानी चमत्कारी कथा, जहां मां ने बचाई भक्तों की जान!

गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में स्थित 600 साल पुराना बुढ़िया माई मंदिर चमत्कारों और आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां की कथाएं और चमत्कारी घटनाएं भक्तों को आकर्षित करती हैं। खासकर नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 22 September 2025, 12:27 PM IST

Gorakhpur: पूर्वांचल की आस्था और चमत्कारों की धरती पर स्थित बुढ़िया माई मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर कुसम्ही जंगल में स्थित है और लगभग 600 साल पुराना है। यहां की चमत्कारी कथाएं और मान्यताएं न केवल स्थानीय निवासियों, बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों को भी आकर्षित करती हैं। बुढ़िया माई के बारे में कहा जाता है कि यहां श्रद्धा और विश्वास से माता के चरणों में शीश झुका कर कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती।

मंदिर की चमत्कारी कथाएं और इतिहास

यह मंदिर अपनी चमत्कारी कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार तुर्रा नाले पर बने काठ के पुल से एक बारात गुजर रही थी। बुढ़िया माई ने नर्तकी से नृत्य करने को कहा, लेकिन बरातियों ने इसे मजाक समझकर मां की चेतावनी को नजरअंदाज किया। एक जोकर ने मां की बात मानी और पुल पर नहीं चढ़ा। जैसे ही बारात पुल पर पहुंची, वह टूट गया और दूल्हा समेत सभी लोग नाले में गिर गए। सिर्फ जोकर ही बचा, जिसने मां की चेतावनी मानी थी। इस घटना के बाद इस स्थान को बुढ़िया माई के नाम से जाना जाने लगा और यहां चमत्कारों का सिलसिला शुरू हुआ।

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जोखू सोखा का जीवनदान

इस मंदिर से जुड़ी एक और प्रसिद्ध चमत्कारी कथा विजहरा गांव के जोखू सोखा से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जोखू की मृत्यु के बाद उनका शव नाले में प्रवाहित कर दिया गया, जो पिंडियों तक पहुंच गया। तभी बुढ़िया माई प्रकट हुईं और जोखू को जीवित कर दिया। इसके बाद जोखू ने मां की मूर्ति स्थापित कर यहां एक मंदिर का निर्माण किया।

नवरात्रि मेला में भक्तों की भीड़

नवरात्रि के समय इस मंदिर में विशेष रूप से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। जंगल के बीच स्थित इस ऐतिहासिक मंदिर में भव्य मेला लगता है, जहां भक्त अपनी मनोकामनाओं के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु मां के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। मंदिर का वातावरण पूजा, भजन-कीर्तन और श्रद्धा से सराबोर रहता है।

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पर्यटन विभाग की पहल

इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पर्यटन विभाग ने पहल की है। विभाग ने मंदिर के आसपास के क्षेत्र को और आकर्षक और सुविधाजनक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं भी मिलेंगी।

कैसे पहुंचें?

गोरखपुर शहर से बुढ़िया माई मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे सुविधाजनक मार्ग मोहद्दीपुर चौराहे से है। यहां से आप ऑटो या जीप लेकर कुसम्ही जंगल पहुंच सकते हैं। कुसम्ही जंगल में स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र और चमत्कारों की भूमि बन चुका है।

Location : 
  • Gorakhpur

Published : 
  • 22 September 2025, 12:27 PM IST