

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने विपक्ष पर झूठे वीडियो फैलाने और बिजली व्यवस्था को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने आंकड़ों और तथ्यों के साथ यूपी में बिजली सुधारों का ब्यौरा साझा किया। लेकिन क्या विपक्ष के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं, या कुछ छिपा है?
यूपी ऊर्जा मंत्री एके शर्मा (सोर्स इंटरनेट)
Lucknow: उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था को लेकर इन दिनों सत्ता और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है। सत्ताधारी बीजेपी के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोला और यूपी की बिजली व्यवस्था पर जारी बहस को नया मोड़ दे दिया।
सूत्रों के अनुसार, मंत्री शर्मा ने साफ आरोप लगाया कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जनता को गुमराह करने के लिए फर्जी वीडियो और भ्रामक प्रचार का सहारा ले रही हैं। उन्होंने बलिया, मथुरा और सुल्तानपुर के वीडियो को गलत बताते हुए कहा कि "यह सोची-समझी साजिश है, जिससे राज्य सरकार की छवि धूमिल की जा सके।"
सुल्तानपुर मामले में तो उन्होंने कहा कि "केवल 'जय श्रीराम' बोलने की बात नहीं हुई, बल्कि अधिकारियों की त्वरित कार्रवाई से समस्या का समाधान भी हो गया और जिम्मेदार तकनीकी कर्मी उमांकर यादव को सस्पेंड कर दिया गया।"
सरकार की ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि: 2017 में 5160 MW का राज्य उत्पादन था जो अब 9120 MW तक पहुंच चुका है। उपभोक्ताओं की संख्या दोगुनी, मजरों का 100% विद्युतीकरण। ट्रांसमिशन क्षमता 6 गुनी हो गई है—अब 2 लाख MVA। 1.59 लाख किमी तार और 29 लाख खंभे बदले जा चुके हैं। पहले जहां बिजली चुनिंदा जिलों में मिलती थी, अब हर गांव और शहर को लगातार 18-24 घंटे आपूर्ति हो रही है।
मंत्री ने तंज कसते हुए लिखा, "सुपवा त सुपवा, चलनियों बोले जेमे बहत्तर छेद।" साथ ही ये भी जोड़ा कि विपक्ष के शासनकाल में नीम के तेल का दिया और मिट्टी की ढेबरी ही उजाले का साधन थीं, आज यूपी देश में सबसे ज़्यादा बिजली आपूर्ति करने वाला राज्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मोदी-योगी सरकार ने केवल उत्पादन और आपूर्ति नहीं बढ़ाई, बल्कि अवसंरचना को भी अभूतपूर्व मजबूती दी है। अब तारों और खंभों पर सिर्फ कपड़े नहीं सुखाए जाते, वहां बिजली भी दौड़ती है।
मंत्री एके शर्मा के इस बयान से स्पष्ट है कि यूपी सरकार अपनी उपलब्धियों को लेकर आत्मविश्वास में है, लेकिन विपक्ष के वीडियो और प्रचार पर उठे सवालों को लेकर जनता में भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है। अब देखने वाली बात होगी कि विपक्ष इन तथ्यों के जवाब में क्या सामने लाता है।