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Raebareli News: प्रशासनिक लापरवाही का नमूना बनी स्कूल इमारत, गरीब बच्चों की शिक्षा पर संकट

रायबरेली में 13 साल लावारिस स्कूल के लिये बनाई गई बिल्डिंग लावारिस पड़ी हुई है। पढिये पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Tanya Chand
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Raebareli News: प्रशासनिक लापरवाही का नमूना बनी स्कूल इमारत, गरीब बच्चों की शिक्षा पर संकट

Raebareli: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद मिल एरिया स्थित काशीराम कॉलोनी (खोर-1) में मायावती सरकार के कार्यकाल के दौरान गरीबों के लिए बनाई गई दो मंजिला स्कूल बिल्डिंग पिछले 12-13 वर्षों से बेकार पड़ी है। यह इमारत काशीराम योजना के अंतर्गत बनाई गई थी, जिसका उद्देश्य निर्धन परिवारों को आवास और उनके बच्चों को पास में शिक्षा मुहैया कराना था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लेकिन अफसोसजनक रूप से यह भवन न तो नगर पालिका को हैंडओवर हुआ, न ही बेसिक शिक्षा विभाग को। परिणामस्वरूप यह स्कूल कभी शुरू ही नहीं हो सका और आज एक तांगा स्टैंड तथा अराजक तत्वों का ठिकाना बनकर रह गया है।

स्थानीयों का दर्द: बच्चे रह गए शिक्षा से वंचित
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्थानीय निवासी निशा गुप्ता का कहना है कि पास में कोई स्कूल नहीं है और यही स्कूल यदि शुरू हो जाता तो उनके बच्चों को पढ़ाई का अवसर मिल सकता था। यहां रहने वाले सैकड़ों परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करते हैं, जिनके बच्चों के लिए यह स्कूल वरदान साबित हो सकता था।

प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण
बिल्डिंग की संरचना अब भी मजबूत और उपयोग लायक है, लेकिन यह हैरानी की बात है कि नगर पालिका और बेसिक शिक्षा विभाग दोनों को इसके अस्तित्व की जानकारी तक नहीं थी। बता दें कि यह मामला प्रशासन की गंभीर चूक और योजनाओं के कार्यान्वयन में लचर व्यवस्था की ओर इशारा करता है।

जिलाधिकारी ने मांगी रिपोर्ट, जल्द कार्रवाई का भरोसा
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता द्वारा मामले को उठाने के बाद जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने जानकारी मिलने की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने नगर पालिका ईओ और बेसिक शिक्षा अधिकारी से इस पर रिपोर्ट मांगी है। मिली जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी का कहना है कि “इसे जल्द ही उपयोग में लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।”

क्या अब जागेगा प्रशासन?
यह मामला केवल एक स्कूल भवन की उपेक्षा का नहीं, बल्कि उस शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न है जो गरीबों के बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने में असफल रही है। बता दें कि अब देखना यह है कि प्रशासन इस दिशा में कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी कार्रवाई करता है।

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