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भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के अंतर्गत स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण (एसएसजी) फेज-2 के तहत गोवर्धन योजना के तहत ग्राम पंचायत गजेगड़हा में स्थापित सहबायोगैस प्लांट का स्थलीय भौतिक सत्यापन किया गया। यह निरीक्षण एसएसजी टीम द्वारा किया गया। पढिए पूरी खबर
गोरखपुर: भारत सरकार की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के अंतर्गत स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण (एसएसजी) फेज-2 के तहत गोवर्धन योजना के तहत ग्राम पंचायत गजेगड़हा में स्थापित सहबायोगैस प्लांट का स्थलीय भौतिक सत्यापन किया गया। यह निरीक्षण एसएसजी टीम द्वारा किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए किए गए कार्यों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना था। इस पहल से ग्रामीण भारत को स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
क्या है पूरी खबर
गोरखपुर जनपद में केवल दो सहबायोगैस प्लांट स्थापित किए गए हैं, जो विकासखंड गोला और खजनी में स्थित हैं। ये प्लांट ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ जैविक कचरे के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इनके माध्यम से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिल रहा है, बल्कि ग्रामीण समुदायों को स्वच्छ और किफायती ऊर्जा का विकल्प भी उपलब्ध हो रहा है। सत्यापन के दौरान प्लांट के कार्यों का संख्यात्मक और गुणात्मक मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन किया गया, ताकि इनके प्रदर्शन को और बेहतर बनाया जा सके और रैंकिंग प्रदान की जा सके।
स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका
जानकारी के मुताबिक, निरीक्षण के दौरान ग्राम पंचायत अधिकारी विकास कुमार, नवनीत श्रीवास्तव, गुलशन सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इस अवसर पर अधिकारियों ने सहबायोगैस प्लांट के संचालन, रखरखाव और इसके सामुदायिक लाभों पर चर्चा की। यह प्लांट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
दिशा में एक मील का पत्थर
स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मॉडल के रूप में उभर रहा है। गोरखपुर के इस मॉडल को अन्य क्षेत्रों में भी लागू करने की योजना है, ताकि स्वच्छता और सतत विकास का सपना पूरे देश में साकार हो सके। यह पहल ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।