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बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर होने वाली अलौकिक पूजा, जानें इसकी खासियत

वृंदावन का प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन एक खास पूजा का आयोजन करता है। यह पूजा है मंगला आरती, जो केवल एक बार जन्माष्टमी की रात को आधी रात को होती है। जानें इस अनूठी पूजा और उसकी मान्यताओं के बारे में...
Post Published By: Asmita Patel
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बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर होने वाली अलौकिक पूजा, जानें इसकी खासियत

Mathura News: मंगला आरती विशेष रूप से जन्माष्टमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में होती है। हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा मानी जाती है। जबकि सामान्यतः मंगला आरती मंदिरों में सूर्योदय से पहले होती है, बांके बिहारी मंदिर में यह केवल एक दिन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आधी रात को आयोजित की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाया जाता है और मंगला आरती के माध्यम से भगवान के आगमन की खुशियाँ मनाई जाती हैं। यह पूजा इस तथ्य का प्रतीक है कि जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा की जेल में वासुदेव और देवकी के घर जन्मे थे, तब देवताओं ने भी उनकी दिव्य उपस्थिति के दर्शन के लिए व्याकुल होकर उनकी पूजा की थी। मंगला आरती के दौरान भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के इस पवित्र क्षण का अनुभव करते हैं, जो भक्तों के जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि लाता है।

मंगला आरती का समय

साल में एक बार, जन्माष्टमी की रात जब घड़ी का कांटा बारह बजता है, तब मंदिर के कपाट खुलते हैं और ‘जय कन्हैया लाल की’ के जयकारे से वातावरण गूंज उठता है। यह वह अद्भुत क्षण होता है जब श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी का उल्लास हर जगह छा जाता है। मंगला आरती में भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत से स्नान कराया जाता है, और उन्हें अत्यंत सुंदर वस्त्रों से सजाया जाता है। इसके बाद, आरती के साथ भक्तगण भगवान की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसाद के रूप में माखन-मिश्री दिया जाता है। इस दौरान माखन और मिश्री का वितरण एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ये भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय भोग हैं। मंगला आरती के दौरान भक्तगण इस प्रसाद को ग्रहण करने के लिए विशेष उत्साह दिखाते हैं, और इसे एक आशीर्वाद के रूप में मानते हैं।

सिर्फ जन्माष्टमी पर क्यों होती है मंगला आरती?

बांके बिहारी मंदिर में प्रतिदिन मंगला आरती का आयोजन नहीं होता। इसका कारण कुछ खास मान्यताओं में निहित है। एक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण यहां ‘बालक’ रूप में निवास करते हैं, और एक बालक को जल्दी जागृत करना उचित नहीं समझा जाता। इसलिए, रोजाना मंगला आरती नहीं होती, ताकि भगवान आराम से विश्राम करें और पूरी ऊर्जा के साथ भक्तों को दर्शन दे सकें। इसके अतिरिक्त, एक और मान्यता के अनुसार, ‘मंगला’ का अर्थ शुभ होता है। श्रीकृष्ण का जन्म उस समय हुआ था जब धरती पर मंगलमय क्षण का आगमन हुआ था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन करने से भक्तों के जीवन के सारे संकट दूर होते हैं, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से मंगला आरती का आयोजन किया जाता है।

‘बालक रूप’ में भगवान श्रीकृष्ण

बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को ‘बालक’ रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता मंदिर के सेवायतों और पुजारियों द्वारा दी जाती है, जिन्होंने बताया कि भगवान को एक छोटे बच्चे के रूप में देखा जाता है, जिनकी देखभाल और प्रेम में विशेष स्नेह भाव होता है। जैसे एक बालक को सुबह जल्दी नहीं जगाना चाहिए, वैसे ही भगवान श्रीकृष्ण को भी एक विश्राम की आवश्यकता होती है, ताकि वह पूरी तरह से ताजगी से भरे रहें और पूरे दिन भक्तों को आशीर्वाद दे सकें।

मंगला आरती का दिव्य दृश्य

जन्माष्टमी की रात जब मंगला आरती होती है, तो पूरे मंदिर का दृश्य अद्भुत होता है। मंदिर के कपाट खोलते ही भक्तों का उत्साह चरम पर होता है। ‘जय कन्हैया लाल की’ के जयकारे से वातावरण भक्तिमय हो जाता है। इस दिन, भगवान श्रीकृष्ण को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और पंचामृत से स्नान कराया जाता है। फिर मंगला आरती होती है, और इसके बाद प्रसाद वितरण का सिलसिला शुरू होता है। प्रसाद में माखन और मिश्री, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय हैं, भक्तों के बीच वितरित किए जाते हैं। इस समय भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा से भरपूर होते हैं और भगवान के दर्शन को अपने जीवन का सबसे अनमोल क्षण मानते हैं।

मंगला आरती के साथ जुड़ी खास परंपराएं

मंगला आरती के दौरान कई धार्मिक परंपराओं का पालन किया जाता है, जो इस पूजा को और भी विशेष बनाती हैं। इस दिन, मंदिर में भारी भीड़ होती है, और हजारों भक्त श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए वृंदावन आते हैं। मंगला आरती का आयोजन रात 12 बजे, श्रीकृष्ण के जन्म के समय होता है, जो भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और दिव्य अनुभव होता है।

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