Mahrajganj: विदेश जाने के सपने में ठगी और मानव तस्करी के जाल में फंसीं 47 नेपाली महिलाओं को दिल्ली से रेस्क्यू कर गुरुवार रात उत्तर प्रदेश के सोनौली बार्डर पर नेपाली अधिकारियों को सौंपा गया है। भारत-नेपाल के दूतावासों, सुरक्षा एजेंसियों और समाजसेवी संगठनों के संयुक्त प्रयास से यह रेस्क्यू ऑपरेशन सफल हुआ। यह कार्रवाई भारत-नेपाल के बीच मजबूत सहयोग, सतर्कता और मानवीय संवेदनाओं का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ये सभी महिलाएं नेपाल से भारत के रास्ते अवैध तरीके से खाड़ी देशों सहित अन्य विदेशी स्थानों पर जाने की योजना में थीं। उनके पास जरूरी वैध यात्रा दस्तावेज नहीं थे। ऐसे में इनके तस्करी या किसी अपराध का शिकार होने की पूरी आशंका थी।
दिल्ली में की गई कार्रवाई
दिल्ली में नेपाली दूतावास को इन महिलाओं की मौजूदगी की सूचना मिली, जिसके बाद भारतीय एजेंसियों और समाजसेवी संगठनों के सहयोग से इन्हें चिन्हित कर एक बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत सुरक्षित किया गया। इस दौरान इन महिलाओं को मेडिकल, मानसिक और कानूनी सहायता भी दी गई।
मैत्री बस सेवा से सोनौली पहुंचाया गया
गुरुवार शाम लगभग 8 बजे इन सभी महिलाओं को मैत्री बस सेवा के जरिए दिल्ली से उत्तर प्रदेश के सोनौली बार्डर लाया गया। यहां सीमा पर भारतीय अधिकारियों ने औपचारिक प्रक्रिया के तहत इन्हें नेपाली प्रशासन के हवाले कर दिया। इस दौरान दोनों देशों के कई प्रशासनिक अधिकारी और सुरक्षाकर्मी मौजूद रहे।
भारत-नेपाल सहयोग का शानदार उदाहरण
यह रेस्क्यू ऑपरेशन भारत और नेपाल के बीच लंबे समय से चले आ रहे सांस्कृतिक, सामाजिक और मानवीय रिश्तों की गहराई को दिखाता है। दोनों देशों की एजेंसियों की त्वरित और समन्वित कार्रवाई ने साबित किया कि सीमाएं केवल दूरी नहीं, बल्कि एकजुट प्रयासों का माध्यम भी हो सकती हैं।
मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कदमों की जरूरत
अधिकारियों का मानना है कि तस्कर इन महिलाओं को बेहतर रोजगार और जीवन स्तर का सपना दिखाकर फंसा रहे थे। यह घटना एक बार फिर मानव तस्करी के खतरे और इससे बचाव की जरूरत को सामने लाती है। भारत और नेपाल दोनों देशों को ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए कठोर कानूनों और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।
जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण और कमजोर तबके के लोगों को वैध प्रवासन प्रक्रिया के प्रति शिक्षित करना और अवैध गतिविधियों के प्रति सचेत करना बेहद जरूरी है। समाजसेवी संस्थाएं, प्रशासन और मीडिया इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।