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Maharajganj News: खरहरवां में खाद के लिए हाहाकार, सरकारी दावे फेल, किसान बोले- बिना यूरिया फसल बर्बाद

महराजगंज जिले के कोल्हुई क्षेत्र में यूरिया की भारी किल्लत से किसान बेहाल हैं। किसान रात 2 बजे से लाइनों में खड़े होकर खाद के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। यूरिया खाद की किल्लत किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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Maharajganj News: खरहरवां में खाद के लिए हाहाकार, सरकारी दावे फेल, किसान बोले- बिना यूरिया फसल बर्बाद

Maharajganj: महराजगंज के कोल्हुई क्षेत्र के खरहरवां में यूरिया खाद की किल्लत ने किसानों की नींद उड़ा दी है। खेती के लिए जरूरी इस खाद को पाने के लिए किसान रात 2 बजे से लाइनों में खड़े हो रहे हैं। सरकारी दावों और वादों के बावजूद जमीनी हकीकत निराशाजनक है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कई गांवों के किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए यूरिया खाद की एक-एक बोरी के लिए घंटों इंतजार कर रहे हैं। स्थानीय खाद वितरण केंद्रों पर सुबह होने से पहले ही लंबी कतारें लग जाती हैं। किसान दिनेश,अन्ना, मोलहु, मोहन ने बताया कि सारा काम छोड़कर खाद के लिए लाइन में खड़े होते हैं, फिर भी खाद मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है।” कई बार तो स्टॉक खत्म होने की बात कहकर किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है।

सरकारी दावों का सच

सरकार दावा करती है कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है और वितरण व्यवस्था सुचारू है। लेकिन खरहरवां की स्थिति इन दावों की पोल खोल रही है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि मांग अधिक होने के कारण आपूर्ति में देरी हो रही है। वहीं, किसानों का आरोप है कि खाद सीधे बिचौलियों और तस्करों के पास पहुंच रहा है।

किसानों की मजबूरी

खेती पर निर्भर इस क्षेत्र में यूरिया की कमी फसलों के लिए खतरा बन रही है। धान की खेती के लिए यूरिया जरूरी है, लेकिन इसकी अनुपलब्धता से उत्पादन प्रभावित हो रहा है। किसानों ने बताया कि “बिना खाद के फसल खराब हो रही है और खाद के लिए इतनी मेहनत करनी पड़ रही है।”

समाधान की उम्मीद

किसानों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। वे चाहते हैं कि खाद वितरण में पारदर्शिता लाई जाए। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो किसानों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

गौरतलब है कि यह मामला कोल्हुई क्षेत्र के खरहरवां गांव में यूरिया खाद की किल्लत किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई हैं। धान की बुआई के इस महत्वपूर्ण समय में जब खेतों को खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है, किसान रात 2 बजे से लाइन में लगने को मजबूर हैं। इसके बावजूद, उन्हें कई बार खाली हाथ लौटना पड़ता है, जिससे उनमें भारी नाराजगी है।

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