यूपी में मतदाता सूची पर बड़ी कार्रवाई, लाखों नाम कटने की तैयारी; गाजियाबाद-लखनऊ टॉप पर

उत्तर प्रदेश में विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण के तहत लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाएंगे। शहरी जिलों में स्थायी रूप से अनुपस्थित और डुप्लीकेट वोटरों की संख्या ज्यादा सामने आई है। आयोग ने गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 26 दिसंबर कर दी है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 13 December 2025, 8:08 AM IST

Lucknow: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए चल रहे विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के तहत बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए जाने की तैयारी है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार गाजियाबाद में करीब 11.41 लाख और लखनऊ में लगभग 12.32 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हट सकते हैं। प्रतिशत के लिहाज से गाजियाबाद में 40.23 और लखनऊ में 30.86 प्रतिशत नाम कटने का अनुमान है।

2.98 करोड़ गणना प्रपत्र अब भी लंबित

आयोग के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश भर में अभी भी 2.98 करोड़ मतदाताओं के गणना प्रपत्र संग्रहीत नहीं हो सके हैं। 12 दिसंबर की शाम 4 बजे तक की रिपोर्ट के अनुसार कुल 19.31 प्रतिशत गणना प्रपत्र ‘असंग्रहीत’ श्रेणी में हैं। यही वजह है कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं को राहत देते हुए गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि 26 दिसंबर तक बढ़ा दी है।

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एसआईआर के तहत क्या है स्थिति

उत्तर प्रदेश में नवंबर महीने में एसआईआर के लिए मतदाता सूचियां फ्रीज की गई थीं। इन सूचियों में कुल 15 करोड़ 44 लाख 30 हजार 92 मतदाता दर्ज हैं। इनमें से 80.69 प्रतिशत मतदाताओं के गणना फॉर्म अब तक डिजिटाइज किए जा चुके हैं। हालांकि, शेष करीब 19 प्रतिशत मतदाता अभी भी आयोग की प्रक्रिया से बाहर हैं, जिससे नाम कटने की आशंका बनी हुई है।

शहरी इलाकों में ज्यादा गड़बड़ी

आयोग के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मतदाता स्थायी रूप से अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत अथवा डबल वोटर के रूप में सामने आ रहे हैं। यही कारण है कि गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर नगर, गौतमबुद्धनगर और मेरठ जैसे बड़े शहरों में नाम कटने का प्रतिशत काफी अधिक है। शहरी क्षेत्रों में प्रवास और नौकरी के कारण स्थानांतरण एक बड़ी वजह मानी जा रही है।

नाम कटने में टॉप-20 जिले

एसआईआर के आंकड़ों के अनुसार जिन जिलों में सबसे ज्यादा प्रतिशत में नाम कटेंगे, उनमें बलरामपुर (26.72%), कानपुर नगर (25.62%), प्रयागराज (25.48%), गौतमबुद्धनगर (25.32%), मेरठ (25.26%), आगरा (23.65%), शाहजहांपुर (23.16%), हापुड़ (22.67%), कन्नौज (22.19%), फर्रूखाबाद (21.72%), बरेली (21.33%), बदायूं (21.08%), बहराइच (20.91%), सिद्धार्थनगर (20.65%), संभल (20.61%), संतकबीरनगर (20.36%), प्रतापगढ़ (20.09%) और सीतापुर (20%) शामिल हैं।

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गाजियाबाद और लखनऊ की स्थिति

गाजियाबाद और लखनऊ जैसे बड़े शहरी जिलों में नाम कटने की संख्या और प्रतिशत दोनों ही चिंताजनक हैं। अधिकारियों का कहना है कि यहां बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता मिले हैं जो वर्षों से अपने पते पर मौजूद नहीं हैं या फिर अन्य स्थानों पर शिफ्ट हो चुके हैं। कई मामलों में एक ही व्यक्ति का नाम एक से अधिक जगह दर्ज पाया गया है।

बुंदेलखंड में राहत की तस्वीर

जहां एक ओर शहरी और घनी आबादी वाले जिलों में नाम कटने का प्रतिशत ज्यादा है, वहीं बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर मानी जा रही है। ललितपुर में सबसे कम 9.28 प्रतिशत मतदाताओं के नाम कटने का अनुमान है। इसके अलावा हमीरपुर (11.05%), महोबा (12.74%), बांदा (12.82%), झांसी (14.04%) और चित्रकूट (14.25%) जैसे जिलों में भी स्थिति संतोषजनक बताई जा रही है।

अन्य जिलों में संभावित कटौती

बुंदेलखंड के अलावा अमरोहा में 13.53 प्रतिशत, पीलीभीत में 13.90 प्रतिशत, अंबेडकरनगर में 14.04 प्रतिशत और गाजीपुर में 14.54 प्रतिशत मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने की संभावना है। इन जिलों में गणना प्रपत्र वापस जमा होने की रफ्तार औसत से बेहतर बताई गई है।

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  • Lucknow

Published : 
  • 13 December 2025, 8:08 AM IST