Jalaun News: कोंचिग संस्थानों ने की बड़ी लापरवाही! बच्चों की सुरक्षा पर उठें सवाल; जानें पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के जालौन में कोचिंग सेंटरों में लापरवाही देखा जा रहे है। जिससे बच्चों की सुऱक्षा पे सवाल उठ रहे है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 11 May 2025, 3:15 PM IST
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जालौन: जनपद में कोंचिग सेंटरों की भरमार है। शहर से लेकर कस्बों व गांवों तक कोंचिग सेंटर संचालित हो रहे है। रहायसी मकानों में कोंचिग सेंटर चला कर खुलेआम मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है। यहीं वजह है कि जिले में 5 प्रतिशत कोंचिग सेंटर पंजीकृत है। जबकि संचालन सैकड़ों की संख्या में किया जा रहा है। सरकार के नये शासनादेश में कोंचिग सेंटर अब 16 वर्ष से कम उम्र या 12वीं कक्षा से पहले के विद्यार्थियों का दाखिला नहीं लेगें।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सरकार के नए आदेश के बाद जहां एक ओर कोंचिग संचालकों की चिंताएं बढ़ गयी है, तो वहीं विभाग ने भी अपंजीकृत कोंचिग संस्थानों पर कार्रवाही करने का मन बना लिया है। शहर में सैकड़ों की संख्या में कोंचिग सेंटर मानकों की अनदेखी कर संचालित किये जा रहे है। यहीं हाल ग्रामीण क्षेत्रों का है लेकिन किसी ने भी डीआईओएस कार्यालय में पंजीकृत कराना उचित नहीं समझा है। अधिकांश कोंचिग सेंटर भूतल और गली में संचालित हो रहे है, जो मानक के विपरीत है।

परीक्षा के दौरान बढ़ जाती कोंचिग सेंटरों की संख्या

आम तौर पर पूरे वर्ष कोंचिग संस्थानों का संचालन होता है। परीक्षा के समय सेंटरों की संख्या अचानक बढ़ जाती है। सर्दी व कोहरे में बच्चों को सुबह और शाम को बुलाया जाता है। परीक्षा नजदीक होने के डर बच्चे ठिठुरते हुए कोंचिग संस्थानों में पहुंचते है। कोहरे में परीक्षार्थी हादसों का भी शिकार हो सकते है। दिन भर कोंचिग के संचालन से परीक्षा के नजदीक आते ही अधिकतर सरकारी व निजी कालेजों में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के बच्चे कक्षाओं में नजर नहीं आते है। वहीं कोंचिग सेंटरों में बच्चों की संख्या अधिक होती है।

90 फीसदी संस्थाओं के पास नहीं है फायर एनओसी

उरई।एनओसी लेने से पहले फायर विभाग के अधिकारियों की ओर से बिल्डिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम की पूरी जांच की जाती है। एक भी कमी पाये जाने पर एनओसी नहीं दी जाती। इसमें संस्थान तक दमकल गाड़ी के जाने सहित कई तरह के मानक पूरे करने होते है। इस सेंटरों के पास न तो बिल्डिंग प्लान है और न ही हादसे के समय बचने की पूरी ब्यवस्था। ये बात हम नहीं जांच के सामने आयेगी।

कभी भी हो सकते है हादसे

कोंचिग सेंटरों की बहु मंजला भवनों में बच्चों को बैठाया जाता है। इन इमारतों के पास हाईटेंशन तारे गुजर रही है जिनसे कभी भी हादसे हो सकते है। शार्ट शर्किट या किसी अन्य वजह से आग सेंटर के अंदर लग जाये, तो तंग जगह व खुली सीढियां न होने के कारण भगदड़ मचने पर समय रहते बाहर नहीं निकल सकते। जिस कारण बड़ा हादसा हो सकता है।

कोचिंग सेंटर खोलने के लिए नहीं लेनी पड़ती अनुमति

कोचिंग सेंटर कोई भी खोल सकता है। इसके लिए शिक्षा विभाग या किसी अन्य विभाग से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है। इन कोचिंग सेंटरों में फायर सेफ्टी के पर्याप्त प्रबंध है या नहीं। कोंचिग सेंटरों के प्रति अधिकारियों की जिम्मेवारी तय नहीं होने के कारण कोंचिग सेंटर सुरक्षा को लेकर भी लापरवाही बरती जा रही है।

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