कफ सिरप तस्करी केस ने बड़ा मोड़ ले लिया है। जांच में सामने आया है कि आरोपी शुभम जायसवाल ने कफ सिरप की काली कमाई और बाहरी नेटवर्क की मदद से दाऊद गिरोह के संपर्क में आकर दुबई में पनाह ली। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, वह अपनी कमाई का हिस्सा दुबई में निवेश करने की तैयारी में था।

प्रतीकात्मक छवि
New Delhi: वाराणसी में कफ सिरप तस्करी केस ने बड़ा मोड़ ले लिया है। जांच में सामने आया है कि आरोपी शुभम जायसवाल ने कफ सिरप की काली कमाई और बाहरी नेटवर्क की मदद से दाऊद गिरोह के संपर्क में आकर दुबई में पनाह ली। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, वह अपनी कमाई का हिस्सा दुबई में निवेश करने की तैयारी में था। इसी बीच मीरजापुर–जौनपुर बेल्ट में होलसेलरों द्वारा बिना रिकॉर्ड 2 लाख से ज्यादा कफ सिरप बेचने का खुलासा हुआ है। मेडिकल डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की जांच तेज कर दी गई है और कई दुकानों पर एफआईआर व छापेमारी जारी है।
एसटीएफ भी मामले की जांच कर रही हैं। ईडी ने भी FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लेकिन धनंजय सिंह का नाम किसी भी एफआईआर में नहीं है। कफ सिरप के अवैध कारोबार में भी उनकी अब तक किसी तरह की संलिप्तता साबित नहीं हुई है।
लेकिन अमित सिंह टाटा और आलोक प्रताप सिंह की गिरफ्तारी के बाद से धनंजय सिंह का नाम सुर्खियों में है। इसकी वजह ये है कि सोशल मीडिया पर इन दोनों के साथ धनंजय सिंह की कई तस्वीर और वीडियो वायरल किए जा रहे हैं।
मूल रूप से कैथी थाना बलुआ चंदौली का रहने वाला आलोक 2019 में एसटीएफ से बर्खास्त हो चुका है। इससे पहले उसका नाम 2006 में लखनऊ के आशियाना थाने में सोना लूटकांड में आया था, जिसमें 2022 में कोर्ट पर्याप्त सबूत न मिलने पर बरी कर चुका है। एसटीएफ ने उसकी गिरफ्तारी सुशांत गोल्फ सिटी में दर्ज कफ सिरप के प्रकरण में की है।
आलोक ने सुल्तानपुर रोड पर धनंजय सिंह के मकान के सामने ही एक लग्जरी मकान बनवाया है। इसी जून में इसका गृह प्रवेश हुआ था। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को शिकायत भेजी है।
अमित व आलोक की गिरफ्तारी के बाद सपा ने इसे सियासी रंग देना शुरू किया। सबसे पहले खुद अखिलेश यादव ने 2 दिसंबर को मऊ पर मीडिया से बात करते हुए कटाक्ष किया था। कहा- ‘किसी को खांसी हो तो देसी दवा गुड़–सोंठ खा लेना। लेकिन बीजेपी सरकार के समय जो कफ सिरप आ रही है, उससे बचना चाहिए। इसलिए बचना चाहिए कि कुछ लोग इससे मुनाफा कमा रहे हैं। अभी स्कीम चल रही थी वन डिस्ट्रिक, वन माफिया। यह ODOP नहीं है, OM है–वन डिस्ट्रिक, वन माफिया।’ 2 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र में आजमगढ़ से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव और 3 दिसंबर को जौनपुर जिले की मछली शहर से सपा सांसद प्रिया सरोज ने कफ सिरप मुद्दे पर खूब सियासी तीर चलाए।