

महराजगंज के कंपोजिट विद्यालय में आज एक अनूठा एवं प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के तहत प्रभागीय वन अधिकारी निरंजन सुर्वे एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धि पांडेय की उपस्थिति में विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर “पौधों की बारात” निकाली गई।
स्कूली बच्चों ने निकाली पौधों की बारात
महराजगंज: सदर विकासखंड के सोनरा स्थित कंपोजिट विद्यालय में आज एक अनूठा एवं प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के तहत प्रभागीय वन अधिकारी निरंजन सुर्वे एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धि पांडेय की उपस्थिति में विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर "पौधों की बारात" निकाली गई। इस विशेष पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदाय को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना और पेड़-पौधों की महत्ता समझाना था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस पौधों की बारात में छात्र-छात्राओं ने नाचते-गाते, रंग-बिरंगे परिधानों में सजकर गांव की गलियों में घूमकर लोगों को संदेश दिया—“पेड़ बचाओ, पर्यावरण बचाओ।” बच्चों के हाथों में जागरूकता से भरे पोस्टर और स्लोगन थे, जिनमें लिखा था "हरियाली है जीवन का आधार",आओ मिलकर पेड़ लगाएं, धरती को हरा-भरा बनाएं।" इस पहल को देखकर गांववासियों ने भी बच्चों का उत्साहवर्धन किया और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी सहमति जताई।
बारात के समापन के उपरांत विद्यालय परिसर में एक संक्षिप्त समारोह आयोजित हुआ, जिसमें प्रभागीय वन अधिकारी श्री निरंजन सुर्वे ने सभी छात्राओं को गणित विषय से संबंधित शैक्षणिक सामग्री भेंट की। उन्होंने बच्चों से कहा कि "आप ही आने वाले भारत के नागरिक हैं, और प्रकृति की रक्षा आपका भी दायित्व है। वृक्ष न केवल ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि पर्यावरण को संतुलित रखने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।"
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इसके पश्चात विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डीएफओ सुर्वे ने स्वयं पौधा लगाकर बच्चों और अभिभावकों को प्रेरित किया। उन्होंने सभी शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों से अपील की कि वे अपने जीवन में कम से कम एक पौधा जरूर लगाएं और उसकी देखभाल करें।
इस कार्यक्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, विद्यालय के प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण, अभिभावक और सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इस अभिनव प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की गतिविधियाँ बच्चों को सामाजिक जिम्मेदारी और प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाती हैं।